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दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ का चूना, शराब नीति पर लीक CAG रिपोर्ट में बड़ा दावा

दिल्ली शराब नीति से सरकारी खजाने को 2000 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व का नुकसान हुआ। सीएजी की एक रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब नीति के क्रियान्वयन में कई खामियां पाई गईं हैं। इसमें लाइसेंस जारी करने में खामियों और नीतिगत कमियों को उजागर किया गया है।

Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 11 Jan 2025 01:32 PM
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दिल्ली में खत्म की जा चुकी शराब नीति से सरकारी खजाने को 2000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इंडिया टुडे ने सीएजी की लीक हो गई रिपोर्ट को लेकर यह दावा किया है।

सीएजी की लीक हुई रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि शराब नीति अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही और आम आदमी पार्टी के नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत से फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था। रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने से लेकर नीतिगत कमियां और नियमों के उल्लंघनों को उजागर किया गया है।

नवंबर 2021 में पेश की गई शराब नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में शराब खुदरा बिक्री को पुनर्जीवित करना और सरकारी राजस्व को बढ़ाना था। हालांकि, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के कारण ईडी और सीबीआई द्वारा मामले की जांच की गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित आप के कई शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इन नेताओं को पिछले साल जमानत मिल गई थी।

सीएजी रिपोर्ट को अभी दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाना है। रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी संस्थाओं को शिकायतों के बावजूद बोली लगाने की अनुमति दी गई थी। बोलीदाताओं की वित्तीय स्थितियों की जांच नहीं की गई थी। इसमें कहा गया है कि घाटे की रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को भी बोली लगाने की अनुमति दे दी गई, या उनके लाइसेंस रिन्यू कर दिए गए।

इसके अलावा, सीएजी ने पाया कि उल्लंघनकर्ताओं को जानबूझकर दंडित नहीं किया गया। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि नीति से संबंधित प्रमुख निर्णय कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिए गए थे। साथ ही आधिकारिक प्रक्रिया के विपरीत नए नियमों को समर्थन के लिए विधानसभा के समक्ष पेश नहीं किया गया।

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