...ताकि बच्चे को खालीपन महसूस न हो, दोनों का प्यार है जरूरी, दिल्ली HC ने ऐसा क्यों कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाकशुदा माता-पिता के बच्चों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि अलग रह रहे माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका बच्चा दोनों के साथ सुरक्षित महसूस करे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाकशुदा माता-पिता के बच्चों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि अलग रह रहे माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका बच्चा दोनों के साथ सुरक्षित महसूस करे। कोर्ट ने यह बात एक मामले की सुनवाई के दौरान कहीं। जिसमें कोर्ट बच्चे की कस्टडी को लेकर विचार कर रहा है। इस मामले में उसने पिता को ट्रायल कोर्ट से मिले डेली मुलाकात के अधिकार को घटाकर हफ्ते में तीन बार कर दिया।
जस्टिस मनोज जैन ने बुधवार को कहा, 'बच्चे की कस्टडी मां के पास है, जो निस्संदेह उसके विकास और वृद्धि के लिए जरूरी है। लेकिन साथ ही, यह अंडरस्कोर (रेखांकित) करना भी जरूरी है कि ज्यादा नहीं तो बच्चे के जीवन में पिता की भूमिका उसके भावनात्मक कल्याण और समग्र विकास के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है।'
जस्टिस ने अपने आदेश में कहा, 'बच्चे को पिता के साथ संबंध की कमी के कारण अपने जीवन में खालीपन महसूस नहीं होना चाहिए। ऐसा बंधन सुरक्षा, आत्म-सम्मान और संतुलित व्यक्तित्व विकास की भावना को बढ़ावा देने और विकसित करने में महत्वपूर्ण है।' मां ने दलील दी थी कि बेटी रोजाना पिता से नहीं मिल सकती क्योंकि इससे उसका स्कूल होमवर्क और अन्य बातचीत प्रभावित होगी।
अदालत ने मुलाकात के अधिकार में संशोधन कर दिया, लेकिन कहा कि बच्चे के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि वह माता-पिता दोनों के प्यार का हकदार है। अदालत ने बताया कि बच्चे की कस्टडी के मामलों पर फैसला करते समय, प्राथमिक और सर्वोपरि विचार हमेशा बच्चे का कल्याण होता है।
ऐसे ही एक मामले में 15 सितंबर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक पिता को 8 माह के बच्चे की कस्टडी उसकी मां को सौंपने का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार दिया। आदेश सुनाते हुए जस्टिस कीर्ति सिंह ने कहा, 'बच्चे के कल्याण और सर्वोत्तम हित में यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि बच्चा पिता के प्यार और साथ से वंचित न रहे।'