पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू करें आयुष्मान भारत योजना, दिल्ली हाईकोर्ट का 'आप' सरकार को आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति में सुधार और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के मद्देनजर कई महत्पूर्ण आदेश दिए हैं। अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह आयुष्मान भारत योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सरकारी अस्पतालों में लागू करे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति में सुधार और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के मद्देनजर कई महत्पूर्ण आदेश दिए हैं। अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन(पीएम-एबीएचआईएम) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सरकारी अस्पतालों में लागू करे। इस आदेश का अनुपालन चार सप्ताह के भीतर किया जाए।
चीफ जस्टिस मनमोहन एवं जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच के समक्ष दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा और अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम ने दिल्ली के दो अस्पतालों और 15 वेलनेस सेंटरों (कल्याण केन्द्रों) पर पीएम-एबीएचआईएम योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने की बात कही। इस पर बेंच ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद जल्द ही राजधानी के सभी अस्पतालों में मरीजों की सहूलियत के लिए इस योजना को लागू करना सुनिश्चित करें।
वहीं, डॉ. सरीन कमेटी की सिफारिशों के मद्देनजर दिल्ली के अस्पतालों में सुधार के लिए बुलाई गई बैठक का ब्यौरा भी हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया। इसके अतिरिक्त दिल्ली सरकार की तरफ से अस्पतालों में बदलाव के लिए की गई पहल की जानकारी भी हाईकोर्ट को दी गई। इस मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था : इस मामले में हाईकोर्ट ने दिल्ली के 24 सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति पर स्वत: संज्ञान लिया था। साथ ही डॉ. सरीन की निगरानी में कमेटी गठित की थी।
कई दिशानिर्देश दिए
● 762 पैरामेडिकल और 701 नर्सिंग स्टॉफ की नियुक्ति 11 दिसंबर 2024 से पहले हो जानी चाहिए।
● रेडियोलॉजिकल डायग्नोस्टिक सेवाओं को लेकर दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि जब तक पुख्ता ढांचा तैयार नहीं हो जाता, तब तक पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के मुताबिक जांच कराई जाए। इसे लागू करने के लिए दो सप्ताह का समय सरकार को दिया है।
● दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे कानून के अनुसार सभी अस्पतालों के लिए पूर्णकालिक एमएस/एमडी/निदेशक/एचओडी की नियुक्ति के लिए दो सप्ताह के भीतर कदम उठाएं।
● दिल्ली के सभी 24 अस्पतालों में चार सप्ताह के भीतर जन औषधि केन्द्र खोलने के निर्देश दिए।
● जिन अस्पतालों में 80 फीसदी काम पूरा हो गया है, वहां संविदा के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती का काम शुरू करें। चार सप्ताह के भीतर यह कार्य पूरा किया जाए ताकि अस्पतालों में मरीजों का उपचार शुरू हो सके।