Delhi Election 2025 : दिल्ली में दिग्गजों की सीटों पर घटे वोटर, 14 विधानसभा क्षेत्रों में बड़ा बदलाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार वर्ष 2020 की तुलना में 7 लाख से ज्यादा मतदाता बढ़े हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीट रही पटपड़गंज समेत 14 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या घट गई है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार वर्ष 2020 की तुलना में 7 लाख से ज्यादा मतदाता बढ़े हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीट रही पटपड़गंज समेत 14 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या घट गई है।
5 सालों में सबसे ज्यादा दिल्ली कैंट सीट पर 60 हजार वोटर घटे हैं। अब वह सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र हैं। विकासपुरी विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता बढ़े हैं, जिससे मतों के लिहाज से वह सबसे बड़ी विधानसभा सीट बन गई है। दिल्ली दंगल में उतरे दल मतदाता सूची में नाम जुड़वाने और हटवाने के लिए जोर लगा रहे हैं। 6 जनवरी को जारी हुई मतदाता सूची के मुताबिक, बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 20 फीसदी सीटों पर मतदाताओं की संख्या कम हो गई है। इनमें दिल्ली कैंट, सीएम की सीट नई दिल्ली और नेता विपक्ष की सीट रोहिणी शामिल हैं। मंगोलपुरी और त्रिलोकपुरी सुरक्षित सीटों पर भी वोटर घटे हैं।
राजनीति के जानकारों की मानें तो इसका असर चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा। राजनीतिक दलों को बदले हुए समीकरणों के हिसाब से अपनी रणनीति तैयार करनी होगी। दिल्ली में इस बार पिछले विधानसभा चुनाव से करीब सात लाख मतदाता बढ़े हैं, लेकिन यह वृद्धि 54 विधानसभा क्षेत्रों में हुई है। 14 क्षेत्रों में वोटरों की संख्या कम हुई है।
पांच लाख आवेदन लंबित
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर मतदाता बनने के लिए पांच लाख से ज्यादा आवेदन लंबित हैं। यह आवेदन बीते 20 दिन में चुनाव आयोग को प्राप्त हुए हैं। आयोग इनके सत्यापन कार्य में जुटा हुआ है। 17 जनवरी तक इन्हें मतदाता सूची में शामिल करने का फैसला होना है।
वोटर कम होने के कारण
1. कोविड के दौरान दिल्ली से बड़ी संख्या में पलायन हुआ था। इसका असर कई इलाकों की मतदाता सूची पर भी पड़ा है। कुछ लोग वापस लौट गए तो कई ने वापस आने के बाद इलाके बदल लिए। इसके चलते पिछली विधानसभा सीट के मुकाबले मतदाताओं की संख्या कम हुई है।
2. जी-20 सम्मेलन की तैयारी के चलते नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, आरकेपुरम जैसे इलाकों से झुग्गी हटाई गईं। सौंदर्यीकरण के दौरान झुग्गियों को हटाया गया। इसके चलते भी इन विधानसभा सीटों की मतदाता सूची में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है।
3. मतदाता सूची को त्रुटिरहित करने के लिए चुनाव आयोग ने 18 अगस्त से 16 अक्टूबर तक डोर टू डोर सर्वे अभियान चलाया था। इसमें मतदाताओं का सत्यापन किया गया। सत्यापन में गलत पाई गई वोट को मतदाता सूची से हटा दिया गया है।
4. आयोग की समरी रिविजन के दौरान 29 अक्टूबर से 28 नवंबर के बीच बड़ी संख्या में दलों और सामाजिक संगठनों ने सूची से नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग को सूचित किया। इसका असर भी मतदाता सूची में देखने को मिला है।