दिल्ली चुनाव में 'अपनों' से लड़ रही कांग्रेस, समझिए क्यों ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियां आप को दे रही तवज्जो?
Delhi Chunav: दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस ने भी असमंजस की स्थिति से निकलते हुए चुनावी ताल ठोकी है। पर पार्टी को आम आदमी पार्टी और भाजपा से ज्यादा अपनों से लड़ना पड़ रहा है।
Delhi Chunav: दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस ने भी असमंजस की स्थिति से निकलते हुए चुनावी ताल ठोकी है। पर पार्टी को आम आदमी पार्टी और भाजपा से ज्यादा अपनों से लड़ना पड़ रहा है, क्योंकि इंडिया गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस खुलकर आप पार्टी के साथ आ गए हैं। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) भी आम पार्टी का समर्थन कर चुकी है।
गठबंधन में दरार
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ रोड शो किया । वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा शुक्रवार को आप के लिए प्रचार करेंगे, ताकि पूर्वांचल के मतदाताओं को संदेश दिया जा सके।
विफल रणनीति
कांग्रेस दिल्ली चुनाव में अपनी चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहनाने में पूरी तरह विफल रही है। पार्टी ने पूरे जोर-शोर के साथ आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला था पर बाद में इंडिया गठबंधन के घटक दलों के दबाव में कदम पीछे खींच लिए। पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने प्रचार से दूरी बना ली। पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को घटक दलों को अपने पक्ष में करने में सफल रहे।
गठबंधन में कमजोर
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा भ्रष्ट नेताओं की फेहरिस्त में राहुल गांधी को शामिल करने पर कांग्रेस को फिर से मैदान में उतरना पड़ा। गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे लगातार प्रचार कर रहे हैं। इस सबके बावजूद यह साफ हो गया है कि इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि महाराष्ट्र और हरियाणा में शिकस्त के बाद गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है। यही वजह है क्षेत्रीय दल दबाव बनाने में सफल रहे हैं।
कांग्रेस को संदेश
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के घटक दलों द्वारा आम आदमी पार्टी को समर्थन से साफ है कि उन्हें यह भरोसा नहीं है कि कांग्रेस चुनाव में भाजपा को शिकस्त दे पाएगी, इसलिए घटक दलों ने कांग्रेस के बजाय आप पार्टी पर दांव लगाया है ताकि भाजपा को हराया जा सके। इसके साथ यह संदेश भी दिया है कि कांग्रेस को सभी को साथ लेकर चलना सीखना होगा।