दिल्लीवालों की सेहत पर प्रदूषक कणों का प्रहार, दिल-फेफड़ों को सबसे ज्यादा खतरा; इन बातों का रखें ख्याल
Delhi Air Pollution: प्रदूषण के चलते दिल्ली के अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उन्हें सांस संबंधित परेशानियों से लेकर आंखों में जल हो रही है। एलर्जी, खांसी, छाती में जकड़न, सिर दर्द, नाक बहने, छींक आने सहित कई दूसरे लक्षणों को लेकर मरीज अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं
प्रदूषण के चलते दिल्ली के अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उन्हें सांस संबंधित परेशानियों से लेकर आंखों में जल हो रही है। एलर्जी, खांसी, छाती में जकड़न, सिर दर्द, नाक बहने, छींक आने सहित कई दूसरे लक्षणों को लेकर मरीज अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसके अलावा अस्थमा, दमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों का भी दम फूल रहा है।
चार-पांच दिन से रोगियों में इजाफा स्वामी दयानंद अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी और फेफड़ा एवं टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि 30 फीसदी तक मरीज एलर्जी और सांस संबंधी रोगों के बढ़े हैं। पहले बुखार के मरीज सामने आ रहे थे, लेकिन बीते चार-पांच दिन से खांसी से लेकर छाती में जकड़न, सिरदर्द के मरीज भी उपचार के लिए आ रहे हैं। अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस के मरीजों की समस्या ज्यादा बढ़ी है।
स्वस्थ्य लोगों को भी खांसी
लोकनायक अस्पताल की उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रितु सक्सेना ने बताया कि इमरजेंसी में 10 फीसदी तक मरीज श्वसन संबंधी दिक्कतों को लेकर बढ़ गए हैं। स्वस्थ्य लोगों को भी खांसी और सांस लेने में परेशानी हो रही है। सिरदर्द और उच्च रक्तचाप के लक्षण भी सामने आ रहे हैं। साथ ही त्वचा में जलन की शिकायत के भी कई मामले सामने आए हैं।
आंखों में दिक्कत के 15 फीसदी बढ़े मरीज
सफदरजंग अस्पताल के नेत्र विभाग के डॉ. पंकज रंजन ने बताया कि प्रदूषण के कारण नेत्र रोगियों की संख्या 10-15 फीसदी बढ़ी है। आंखों में जलन, खुजली, पानी का बहना, लालीपन और सूखापन आने के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने सलाह दी कि अनावश्यक तौर पर घर से बाहर न निकलें। बाहर से आने के बाद साफ पानी से आंखों और चेहरे को धोएं। बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई भी दवा आखों में न डालें।
400 से अधिक मरीजों का पंजीकरण
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में प्रदूषण जनित रोग निदान केंद्र ओपीडी बीते 16 अक्तूबर से संचालित है। यहां श्वसन के साथ साथ नेत्र, नाक-कान-गला, त्वचा रोग और मनोरोग विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह दे रहे हैं। प्रत्येक विभाग से दो सीनियर प्रोफेसर और चार रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम को तैनात किया है।
समय पूर्व हो रहा प्रसव
सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण के संपर्क में रहने से सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों पर देखने को मिलता है। गर्भवती महिलाएं समय से पूर्व नवजात को जन्म दे रही है। कम वजन के नवजात पैदा हो रहे हैं। कई मामलों में नवजात की मौत तक हो जाती है।
हार्टअटैक का खतरा बढ़ा
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार ने कहा कि लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से दिल और फेफड़ों पर भी असर पड़ता है। पीएम 2.5 बहुत ज्यादा खतरनाक है। प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम/एम3 की वृद्धि होने से आठ से 18 फीसदी का खतरा हार्टअटैक और हार्ट फेल होने का बढ़ जाता है।
इन बातों का ख्याल रखें
● बुजुर्ग-बच्चे घरों से बाहर बिल्कुल न निकलें
● सुबह और शाम की सैर को बंद करें
● घर में धुपबत्ती और अगरबत्ती न जलाएं
● घर के अंदर झाड़ू न लगाएं
● एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें
● आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं
● घर की खिड़कियां पूरी तरह से बंद रखें
● बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाकर रखें
● दिक्कत महसूस होने पर नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें