दुष्कर्म के झूठे आरोप पर लौटाना होगा मुआवजा, दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में अहम आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि यदि दुष्कर्म के आरोप झूठे पाए जाते हैं तो महिला को अंतरिम मुआवजे की रकम लौटानी होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में अहम आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि यदि दुष्कर्म के आरोप झूठे पाए जाते हैं तो महिला को अंतरिम मुआवजे की रकम लौटानी होगी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यदि सुनवाई अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि ऐसा कोई अपराध नहीं किया गया था, तो महिला को पीड़िता मुआवजा योजना (डीवीसीसी) के तहत दी गई अंतरिम मुआवजा रकम वसूलने के लिए दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण स्वतंत्र (डीएलएसए) होगा।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने कहा कि इस तरह का मुआवजा देने का प्रावधान जरूरतमंद की मदद करना है। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण की जिला पीड़ित मुआवजा समिति मूल्यांकन करने के बाद राशि जारी करती है।
पति ने मांगा अंतरिम मुआवजा
यह मामला एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका के तहत उठा। उसका कहना था कि उसकी पत्नी दुष्कर्म पीड़िता है। डीवीसीसी ने उनकी मुआवजा याचिका को नामंजूर कर दिया है। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अंतरिम मुआवजा आवेदन पर नए सिरे से व कानून के अनुसार निर्णय लिया जाए।
मदद देते समय विचार किए जाने वाले कारक
● अपराध की गंभीरता व पीड़ित को हुई मानसिक या शारीरिक क्षति या चोट की गंभीरता
● पीड़ित की काउंसलिंग, अंतिम संस्कार, जांच, पूछताछ, परीक्षण के दौरान यात्रा सहित शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए इलाज पर किया गया या होने वाला खर्च (डाइट मनी के अलावा)
● अपराध के परिणामस्वरूप शैक्षिक अवसर का नुकसान, आदि