दिल्ली में ऐसी हो सकती है BJP की लिस्ट, एक ही बार में सबका ऐलान- किनसे किनारा, किन पर भरोसा
सूत्रों मुताबिक एक सप्ताह के भीतर भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी, जिसमें सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी। पार्टी इस बार कई पूर्व सांसदों को उतार सकती है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सभी 70 सीटों पर तो कांग्रेस 21 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। अब भारतीय जनता पार्टी भी जल्द प्रत्याशियों के ऐलान की कवायद में जुटी है। पार्टी सूत्रों मुताबिक एक सप्ताह के भीतर भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी, जिसमें सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी। पार्टी इस बार जहां कई पूर्व सांसदों को उतार सकती है तो कई सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाया जा सकता है। भगवा दल को उम्मीद है कि 10 साल की एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही 'आप' के खिलाफ यदि उम्मीदवारों का चयन सावधानी से किया जाए तो 26 साल के वनवास को खत्म करने की अच्छी संभावना है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर इस ओर ध्यान आकृष्ट किया कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मनोज तिवारी को छोड़कर अन्य सभी सांसदों को टिकट काट दिया था। वह कहते हैं कि असल में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही तब इन नेताओं को नहीं लड़ाया गया था। पार्टी प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, मीनाक्षी लेखी और रमेश बिधूड़ी जैसे पूर्व सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है। प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली सीट से खुद अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लड़ाने की तैयारी है। खुद वर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि पार्टी ने उन्हें तैयार रहने को कहा है।
आप-कांग्रेस से आए इन नेताओं को भी मिल सकता है टिकट
लोकसभा चुनाव से अभी तक 'आप' और कांग्रेस से आए कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी टिकट मिल सकता है। इनमें केजरीवाल सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत शामिल हैं, जिन्हें पार्टी नजफगढ़ से उतार सकती है। सूत्रों का कहना है कि वह विजवासन से टिकट चाहते हैं, लेकिन भाजपा उन्हें एक बार फिर नजफगढ़ से ही उतारने की तैयारी में है। कैलाश गहलोत की तरह 'आप' सरकार के मंत्री रहे राज कुमार आनंद को भी पटेल नगर से लड़ाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से आए दिग्गज नेता अरविंदर सिंह लवली को भी टिकट मिलना तय माना जा रहा है। लवली शीला दीक्षित सरकार में मंत्री और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी उन्हें उनके गढ़ गांधीनगर सीट से उतार सकती है।
हारे हुए नेताओं से किनारा, जीते हुए पर फिर दांव
भाजपा इस बार ऐसी सीटों पर नए उम्मीदवारों को उतार सकती है, जहां 2015 और 2020 में एक ही उम्मीदवार को उतारा गया था और दोनों ही चुनाव हार गए। ऐसी सीटों पर इस बार नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। यही वजह है कि पार्टी के कुछ ऐसे विधायक पहले ही पाला बदलकर 'आप' में जा चुके हैं। हालांकि, कुछ ऐसे चहरों की पहचान भी की गई है जो पिछले चुनाव में मामूली अंतर से हार गए, लेकिन पांच साल तक जनता के बीच सक्रियता बनाए रखी। पिछले चुनाव में 'आप' की प्रचंड लहर के बावजूद जीत हासिल करने वाले सभी 8 विधायकों को पार्टी दोबारा उम्मीदवार बना सकती है।