राम-लक्षमण का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता, मनीष सिसोदिया पर क्यों भड़की BJP
बीजेपी ने कहा, रामायण की सबसे बड़ी सीख थी- 'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए', लेकिन उन्होंने बार-बार अपने वादे तोड़े हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल ने रविवार को जंतर-मंतर पर जनता की अदालत लगाई थी। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर निशाना साधा था और दिल्ली के लोगों से उनकी इमानदारी का फैसला करने के लिए कहा था। मनीष सिसोदिया ने भी ईडी और बीजेपी पर उन्हें तोड़ने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अरविंद केजरीवाल से उनकी दोस्ती 26 साल पुरानी है। इसी के साथ उन्होंने अपनी तुलना लक्ष्मण से करते हुए कहा था कि लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश की गई थी।
अब उनके इस बयान पर बीजेपी का बयान सामने आया है। बीजेपी ने नेता शहजाद पूनावाला ने मनीष सिसोदिया के बयान को राम लक्ष्मण का अपमान बताया है। उन्होंने कहा, शराब घोटाले के रावण जब अपनी तुलना हमारे भगवानों से करें तो भगवान राम और लक्ष्मण का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता। रामायण की सबसे बड़ी सीख थी- 'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए', लेकिन उन्होंने बार-बार अपने वादे तोड़े हैं।
इससे पहले बीजेपी की दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने पलटवार करते हुए कहा था कि सिसोदिया नौटंकी के बादशाह हैं और अगले महीने होने वाली रामलीला से पहले खुद को लक्ष्मण के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।
मनीष सिसोदिया ने क्या कहा था?
बता दें, केजरीवाल की पहली ‘जनता की अदालत’ रैली में सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि भाजपा उन्हें अरविंद केजरीवाल से अलग करना चाहती है, लेकिन किसी भी ‘‘रावण में इतनी शक्ति नहीं है कि वह लक्ष्मण को भगवान राम से अलग कर सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब तक अरविंद केजरीवाल तानाशाही के रावण के खिलाफ राम बनकर यह लड़ाई लड़ते रहेंगे, मैं लक्ष्मण बनकर उनके साथ खड़ा रहूंगा।’’ सिसोदिया ने कहा कि जब तक जनता उन्हें ईमानदार नहीं मान लेती, तब तक वह दिल्ली में उपमुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री का पद नहीं संभालेंगे।
केजरीवाल ने हाल में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए कहा था कि दिल्ली की जनता से ईमानदारी का प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही दोबारा इस पद पर आसीन होंगे। भाजपा पर हमला करते हुए सिसोदिया ने कहा, ‘‘जब मैं पत्रकार था, मैंने 2002 में पांच लाख रुपये में एक छोटा सा मकान खरीदा था और मेरे बैंक खाते में 10 लाख रुपये थे। उन्होंने इसे जब्त कर लिया। मेरा बेटा कॉलेज में पढ़ रहा है, और मुझे उसकी फीस भरने के लिए लोगों से मदद मांगनी पड़ी, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेरे बैंक खाते पर रोक लगा दी।’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने दावा किया कि आबकारी नीति मामले में जेल जाने के बाद उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए प्रलोभन दिया गया। हालांकि, भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रमुख ने आरोप को खारिज करते हुए इसे ‘‘हास्यास्पद’’ करार दिया। सचदेवा ने कहा, ‘‘यह आश्चर्य की बात है कि जेल से रिहा होने के डेढ़ महीने बाद उन्हें एक अच्छी तरह से गढ़ी गई कहानी के जरिए ऐसी बात कहना याद आया।’’
भाषा से इनपुट