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5 लाख से अधिक की ट्रांजेक्शन पर बैंक खाताधारक के परिवार से लेंगे अनुमति, क्या है इसकी वजह

नोएडा पुलिस ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से बचाने लिए एक योजना तैयार बैंकों को निर्देश दिए हैं। इसके तहत बैंक प्रबंधन को पांच लाख रुपये से अधिक का लेन-देन यानि ट्रांजेक्शन करने पर खाताधारक के परिवार के एक सदस्य को इसकी जानकारी देनी होगी। उनसे अनुमति मिलने के बाद ही आरटीजीएस करना होगा।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नोएडा। गौरव भारद्वाजSun, 24 Nov 2024 07:42 AM
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नोएडा पुलिस ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से बचाने लिए एक योजना तैयार बैंकों को निर्देश दिए हैं। इसके तहत बैंक प्रबंधन को पांच लाख रुपये से अधिक का लेन-देन यानि ट्रांजेक्शन करने पर खाताधारक के परिवार के एक सदस्य को इसकी जानकारी देनी होगी। उनसे अनुमति मिलने के बाद ही आरटीजीएस करना होगा।

एक साल पहले जिले में डिजिटल अरेस्ट करके लोगों के साथ ठगी के मामले आने शुरू हुए थे। पिछले कुछ माह में डिजिटल अरेस्ट के 30 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। साइबर अपराधी उन लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिनके बचत खातों में लाखों-करोड़ों रुपये हैं। साइबर अपराधी डार्क वेब के जरिये उनके खातों की जानकारी जुटाते हैं।

साइबर अपराधी इसके बाद लोगों को फोन करके खुद को सीबीआई, क्राइम ब्रांच और पुलिस के बड़े अधिकारी बनकर फोन करते हैं। उन्हें देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाकर डराते हैं। इसके बाद वीडियो कॉल करके उन पर नजर रखते हैं और जांच के नाम पर उनके बैंकों में जमा रकम को खाता नंबर देकर ट्रांसफर करा लेते हैं। पीड़ित को जब तक सच्चाई का पता चलता है, तब तक लाखों-करोड़ों की ठगी हो चुकी होती है।

डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट पुलिस जागरूकता अभियान चला रही है। इसी क्रम में पुलिस ने बैंकों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पुलिस की ओर से कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति पांच लाख या इससे अधिक की रकम आरटीजीएस कराने के लिए आता है तो शुरुआती जांच कर लें। खाताधारक के परिवार के किसी सदस्य से फोन पर बात कर लें। अनुमति मिलने पर ही रकम ट्रांसफर करें। साथ ही, खाताधारक के डिजिटल अरेस्ट होने की जानकारी होने पर पुलिस को सूचित करें।

साइबर अपराध थाना प्रभारी निरीक्षक विजय गौतम का कहना है कि जागरूकता की कड़ी में यह एक और कदम उठाया गया है। पर्चे लगाकर भी लोगों को डिजिटल अरेस्ट के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

फंसे व्यक्ति की ऐसे पहचान करें

पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट हुए खाताधारक को पहचानने के संबंध में जानकारी दी है। पुलिस का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट होने के बाद पीड़ित सबसे पहले परिवार के लोगों संपर्क तोड़ लेता है। आरटीजीएस करने के लिए जब कोई खाताधारक बैंक जाता है तो वह हड़बड़ाहट में होता है। वह जल्द से जल्द रकम ट्रांसफर कराना चाहता है। इस दौरान वह साइबर अपराधियों से वीडियो कॉल पर बात करता रहता है। बैंक में आरटीजीएस करने के दौरान यदि दिक्कत आती है तो साइबर अपराधी फोन पर ही पीड़ित को सलाह देते हैं।

जिले में कई बैंक कर्मचारी गुस्से का शिकार हो चुके

पुलिस को जांच के दौरान पीड़ितों से पता चला कि जब वह बैंक में रकम ट्रांसफर कराने गए तो बैंक कर्मियों ने बड़ी रकम ट्रांसफर करने का कारण पूछा। इस पर खाताधारक गुस्से में आ गए और उन्होंने बैंककर्मी को अपना काम करने की नसीहत दी। हालांकि, कई मामलों में बैंककर्मी की जागरूकता के चलते कुछ लोग अधिक रकम गंवाने से बच गए।

सोसाइटियों में चलाए जा रहे जागरुकता कार्यक्रम

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 400 से अधिक सोसाइटियां हैं। इसके अलावा 300 से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं। कमिश्नरेट पुलिस द्वारा पिछले एक वर्ष से सोसाइटियों में रहने वाले लोगों और स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को साइबर अपराध के संबंध में जागरूकता गोष्ठी आयोजित कराई जा चुकी है।

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