AI से लेकर पदयात्रा तक, हर वोटर तक इस तरह पहुंच बना रही AAP; जीत की हैट्रिक लगाने को क्या है पार्टी का प्लान
दिल्ली में सियासी जंग काफी दिलचस्प हो गई है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता से रोज नए वादे कर रही है। इसके अलावा अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए एआई-जनरेटेड स्पूफ से लेकर रैलियों और पदयात्राओं तक निकाल रही है।
दिल्ली में सियासी जंग काफी दिलचस्प हो गई है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता से रोज नए वादे कर रही है। इसके अलावा अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए एआई-जनरेटेड स्पूफ से लेकर रैलियों और पदयात्राओं तक निकाल रही है। मतलब हर उस मौजूद हथियार रणनीतिक रूप से उपयोग कर रही है जिसके जरिए वह जनता तक पहुंच सकती है।
5 फरवरी को होने वाले चुनावों के लिए पार्टी का बहुआयामी दृष्टिकोण सभी तबकों के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें पारंपरिक आउटरीच तरीकों के साथ एडवांस तकनीक का मिश्रण है। आप अभियान का एक प्रमुख पहलू टारगेट कंटेट तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग है। इसमें पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के साथ बाबासाहेब अंबेडकर और विपक्ष, खासकर भाजपा पर हमला करने के लिए मशहूर बॉलीवुड कैरेक्टर्स को लेकर AI-जनरेटेड स्पूफ शामिल हैं।
भाजपा नेताओं पर तंज कसने, कटाक्ष करने के अलावा पार्टी वीडियो के जरिए टेक-सेवी (तकनीक-प्रेमी) मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर इनके जरिए मॉडर्न और आसान तरीके से अपना मैसेज पहुंचाया जा रहा है। भाजपा के बेहतर शासन के दावों का मजाक उड़ाने के लिए फिल्म शोले के फेमस गब्बर कैरेक्टर का उपयोग इस तरह के कटाक्षों का एक प्रमुख उदाहरण है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रचार अभियान की रणनीति में डोर-टू-डोर कॉन्टैक्ट, पार्टी के शीर्ष नेताओं की रैलियां और आप सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने के लिए सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग शामिल है।
जहां प्रचार में तकनीक की अहम भूमिका है, वहीं आप ने मतदाताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध मजबूत करने के लिए पारंपरिक तरीकों पर जोर दिया है। एलईडी स्क्रीन और प्रचार गीत और भाषणों वाले लाउडस्पीकर लगे ई-रिक्शा यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि केजरीवाल का संदेश शहर के हर कोने तक पहुंचे। इसके अलावा, आप जो 2015 से दिल्ली पर शासन कर रही है, वह वादों के जरिए मतदाताओं के एक प्रमुख वर्ग को टारगेट कर रही है।