प्लॉट बचाने को साथ रह रहे 8 दंपतियों ने लिया 'कागजी तलाक', YEIDA की गोपनीय जांच में खुलासा
यमुना विकास प्राधिकरण (यीडा) के औद्योगिक प्लॉट के आवंटन के बाद आठ दंपतियों ने तलाक के दस्तावेज पेश कर दिए, जबकि वे साथ रह रहे हैं। प्राधिकरण की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
यमुना विकास प्राधिकरण (यीडा) के औद्योगिक प्लॉट के आवंटन के बाद आठ दंपतियों ने तलाक के दस्तावेज पेश कर दिए, जबकि वे साथ रह रहे हैं। प्राधिकरण की जांच में इसका खुलासा हुआ है। योजना में पति-पत्नी दोनों को प्लॉटों के आवंटन का नियम नहीं था।
यमुना प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2015 से लेकर अब तक निकाली गई औद्योगिक भूखंडों की योजना की जांच करने पर सामने आया कि 47 प्लॉटों का आवंटन पति-पत्नी दोनों के नाम पर हुआ। जब इन मामलों की जांच कर किसी एक को प्लॉट सरेंडर करने के लिए कहा गया तो कुछ दिन के बाद ही आठ दंपतियों ने तलाक के कागज लगा दिए। इसके अलावा उन्होंने कंपनी और फर्म आदि अलग-अलग होने के दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए।
प्राधिकरण का दावा है कि गोपनीय जांच में सामने आया है कि पति-पत्नी दोनों साथ में ही रह रहे हैं। प्लॉट पाने के लिए कागजी तलाक ले लिया है ताकि दोनों का प्लॉट आवंटन बना रहे। एमएसएमई स्कीम के तहत आवंटित हुए सभी भूखंड चार हजार वर्गमीटर से छोटे हैं।
10 परिवारों के नाम 32 भूखंड आवंटित : यमुना प्राधिकरण की जांच में सामने आया है कि कुल 47 में से 32 प्लॉटों के आवंटन 10 परिवारों के नाम पर ही हैं। 16 भूखंडों का आवंटन अलग-अलग तरह की कंपनियों और फर्म के नाम पर मिला है। जांच के बाद एक आवंटी ने प्लॉट सरेंडर भी कर दिया।
बोर्ड बैठक में आवंटन पर फैसला होगा : एसीईओ की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट को आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड के संज्ञान में लाने के बाद इन पर फैसला लिया जाएगा कि इनका आवंटन बरकरार रहेगा या या निरस्त किया जाना है। बहरहाल इन मामलों के सामने आने के बाद प्राधिकरण की हाल ही में शुरू हुई 361 आवासीय भूखंडों की योजना में भी इस तरह के मामलों की जांच में सख्ती बढ़ा दी गई है। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि भूखंड आवंटन के सभी 47 मामलों को बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। इन मामलों में क्या कार्रवाई होनी है, यह बोर्ड ही तय करेगा।
केस 1 : दंपति की चड्ढा (बदला हुआ नाम) नाम की कंपनी हैं। एमएसएमई स्कीम के भूखंड में पुरुष ने चड्ढा और महिला ने चड्ढा एंड संस के नाम से आवेदन किया। इन दोनों को ही ड्रॉ में भूखंड आवंटित हो गया, लेकिन पति-पत्नी दोनों को भूखंड आवंटन का नियम नहीं है। जांच में पता चला कि कंपनी एक ही है, जिसके नाम को बदलकर पत्नी ने आवेदन किया। कंपनी नई बताई गई।
केस 2 : नोएडा के दंपति ने वर्ष 2015 की योजना में आवेदन किया। आवेदन के उस समय उन्होंने तलाक की कोई जानकारी नहीं दी। पति-पत्नी दोनों को प्लॉट आवंटित हुआ तो एक को सरेंडर करने के लिए बोला गया। कुछ दिनों बाद ही पत्नी की ओर से प्राधिकरण में तलाक के कागज पेश कर दिए गए। इसकी गोपनीय तरीके से जांच कराई गई तो पता चला कि दोनों अब भी साथ रहते हैं।
योजना के नियम
योजना में नियम था कि यदि पति-पत्नी दोनों ही प्लॉट के लिए आवेदन करते हैं और ड्रॉ में दोनों के नाम पर ही प्लॉटों का आंवटन हो जाता है तो उनमें से एक को प्लॉट सरेंडर करना होगा। सरेंडर करने पर प्लॉट के लिए जमा 10 प्रतिशत ईएमडी भी उन्हें खाते में वापस मिल जाएगी। पति-पत्नी दोनों को प्लॉटों के आवंटन का नियम नहीं है।