गाजियाबाद में 15 साल बाद 600 किसानों को प्लॉट देने पर फैसला संभव, GDA में शामिल हो सकते हैं 77 गांव
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की मंगलवार 18 मार्च को होने वाली बोर्ड बैठक के ज्यादातर प्रस्ताव तैयार हो गए हैं। इसमें मधुबन बापूधाम योजना से प्रभावित 600 किसानों को भूखंड देने पर निर्णय लिया जा सकता है। बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद इन किसानों को 15 साल बाद भूखंड मिलेगा।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की मंगलवार 18 मार्च को होने वाली बोर्ड बैठक के ज्यादातर प्रस्ताव तैयार हो गए हैं। इसमें मधुबन बापूधाम योजना से प्रभावित 600 किसानों को प्लॉट देने पर निर्णय लिया जा सकता है। बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद इन किसानों को 15 साल बाद प्लॉट मिलेगा। इसके अलावा 11 से अधिक प्रस्ताव एजेंडे का हिस्सा होंगे।
जीडीए ने वर्ष 2004 में छह गांव की करीब 1,234 एकड़ जमीन पर मधुबन बापूधाम योजना लॉन्च की थी। इसमें से 800 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया, फिर 153 एकड़ और मिल गई और इसे भी विकसित किया, जबकि बची हुई 281 एकड़ जमीन के किसान सुप्रीम कोर्ट चले गए। साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अंत में जीडीए ने नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत 281 एकड़ जमीन के किसानों को मुआवजा देते हुए जमीन का अधिग्रहण किया। इस फैसले के बाद 800 एकड़ जमीन के किसान भी नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत बढ़े मुआवजे की मांग कर रहे हैं। साथ ही सभी किसान जमीन दिए जाने की एवज में मिलने वाले भूखंडों की भी मांग कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि योजना के लिए करीब 15 साल पहले किसानों से हुए करार को पूरा किया जाए। इस करार के तहत योजना में प्राधिकरण को किसानों को प्लॉट विकसित करके देने हैं, जिसमें से जीडीए करीब 112 प्लॉट किसानों को आवंटित किए जा चुके हैं, जबकि अब तक 600 से अधिक किसानों को प्लॉट नहीं मिले हैं। अब प्राधिकरण इस संबंध में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव ला रहा है, जिससे किसानों को प्लॉट दिए जा सकेंगे।
बता दें कि इस योजना में दो तरह के किसान हैं। पहले अधिग्रहण में 800 एकड़ जमीन देने वाले किसान और दूसरे नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा देकर 281 एकड़ देने वाले किसान। जानकार बताते हैं कि 800 एकड़ वाले किसानों को विकसित जमीन का 6 फीसदी प्लॉट दिया जाएगा, जबकि 281 एकड़ किसानों को विकसित जमीन का 10 फीसदी प्लॉट मिलेगा। जीडीए ने 10 फीसदी प्लॉट वाले किसानों का नोटिस जारी कर सहमति भी ले ली है।
जीडीए में 77 गांव शामिल होंगे : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के किनारे 500-500 मीटर चौड़ी क्षेत्र के दायरे में आने वाले करीब 77 गांव जीडीए में शामिल हो सकते हैं। इन गांव की सूची एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने तैयार की थी, जिन्हें जीडीए क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव था। अब प्राधिकरण इस प्रस्ताव को बोर्ड बैठक में रखेगा, जहां से स्वीकृति दिलाने के बाद इसे फिर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को भेजा जाएगा। जहां से यह प्रस्ताव शासन को जाएगा। सूत्र बताते हैं कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के किनारे 51 गांव और मेरठ एक्सप्रेसवे के किनारे 26 गांव आ रहे हैं। इसमें लोनी तहसील के 11, मोदीनगर और गाजियाबाद सदर तहसील के 26 और बागपत की खेकड़ा तहसील के 31 गांव हैं।
बहुमंजिला इमारत बनाने की योजना
तुलसी निकेतन योजना के चार मंजिला मकान जर्जर हो चुके हैं। प्राधिकरण यहां प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप से बहुमंजिला इमारत बनाने की योजना बना रहा है। इसका प्रस्ताव तैयार कर इस बार बोर्ड बैठक में रखा जाएगा, ताकि यहां से इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद स्थानीय लोगों से सहमति बनाकर यहां बहुमंजिला इमारत बनवाई जा सके।
यह प्रस्ताव भी शामिल होंगे
अधिकारी बताते हैं कि राजनगर योजना के आवंटियों पर भी अतिरिक्त मुआवजे का भार पड़ सकता है। किसानों को बढ़ा मुआवजा देने के लिए इस प्रस्ताव को तैयार किया जा रहा है। हो सकता है कि इस बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को भी शामिल किया जा सके। हालांकि, अब तक इस प्रस्ताव को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। वहीं, जीडीए के वित्तीय बजट से लेकर कर्मचारियों के अन्य बिल आदि के भुगतान के प्रस्ताव भी शामिल किए गए हैं।
अतुल वत्स, जीडीए उपाध्यक्ष ने कहा, ''जीडीए की 18 मार्च को प्रस्तावित बोर्ड बैठक का एजेंडा तैयार किया जा रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल किए गए है।''
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