43 कमेटियों ने कैसे दिल्ली में BJP को दिलाई जीत, किन मुद्दों पर रहा फोकस; समीक्षा बैठक में हुई तारीफ
Delhi Chunav: दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने वाली है। मुख्यमंत्री कौन होगा फिलहाल इसका फैसला नहीं हुआ है। लेकिन पार्टी के चुनाव जीतने में 43 समितियों का भी योगदान रहा। भाजपा के वरिष्ठ नेता बुधवार को चुनाव परिणामों की समीक्षा करने के लिए समिति के सदस्यों के साथ इकट्ठा हुए।
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Delhi Chunav: दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने वाली है। मुख्यमंत्री कौन होगा फिलहाल इसका फैसला नहीं हुआ है। लेकिन पार्टी के चुनाव जीतने में 43 समितियों का भी योगदान रहा। भाजपा के वरिष्ठ नेता बुधवार को चुनाव परिणामों की समीक्षा करने के लिए समिति के सदस्यों के साथ इकट्ठा हुए। जिसमें पता चला कि स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने, घर-घर जाकर अभियान चलाने और लोगों की समस्याओं को उठाने की वजह से उनका मतदाताओं के साथ जुड़ाव हुआ।
समितियों ने निभाई अहम भूमिका
दिल्ली चुनाव से पहले, भाजपा ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनौती देने के उद्देश्य से अपने अभियान को बेहतर बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए 43 समितियां बनाईं। ये समितियां सोशल मीडिया प्रबंधन और कॉल सेंटर संचालन से लेकर पूर्वांचली आउटरीच, बूथ-स्तरीय प्रबंधन, घोषणापत्र निर्माण और रैलियों के आयोजन तक के कार्यों के लिए जिम्मेदार थीं। 28 नवंबर से 3 फरवरी तक पार्टी के अभियान प्रयासों को आगे बढ़ाने में इन समितियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दुष्प्रचार बनाम सच पर मिला जनमत संग्रह
पंत मार्ग स्थित पार्टी की सिटी यूनिट कार्यालय में हुई बैठक में दिल्ली भाजपा के चुनाव प्रभारी बैजयंत पांडा, सह-प्रभारी अलका गुर्जर और अतुल गर्ग, दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा और केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए, जो चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भी हैं। सचदेवा ने चुनाव को आप के छल-कपट और दुष्प्रचार बनाम भाजपा के सच और विकास पर जनमत संग्रह बताया। उन्होंने कहा, 'लोगों ने अरविंद केजरीवाल को नकार दिया है और झूठ और छल के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है।'
बुधवार को हुई चर्चा को लेकर एक पार्टी नेता ने बताया कि समिति की समीक्षा बैठक में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में 43 पैनलों की भूमिका की सराहना की गई। नेता ने कहा, 'हम हर बड़े अभियान के बाद ऐसी समीक्षा बैठकें करते हैं। प्रत्येक पैनल ने अपने योगदान और किसमें कामयाब मिली, इसका मूल्यांकन किया।' पैनलों ने बूथ प्रबंधन और चुनाव प्रचार सामग्री से लेकर सांस्कृतिक अभियान तक विभिन्न कार्यों पर काम किया।
किन मुद्दों पर रहा फोकस
पूर्व स्थायी समिति के अध्यक्ष और बूथ समिति के प्रमुख तिलक राज कटारिया ने बताया कि भाजपा ने 13,033 बूथों पर विकेंद्रीकृत बूथ-स्तरीय अभियान चलाया। उन्होंने कहा, 'प्रत्येक बूथ पर छह लोगों की टीम थी, जिसमें एक महिला, एक युवा और एक एससी सदस्य शामिल थे। डोर-टू-डोर अभियान ने शासन की विफलता, पानी की कमी, स्वच्छता की समस्या और टूटी सड़कों जैसे मुद्दों को सामने लाया। यह विशेष रूप से जेजे क्लस्टरों में सफल रहा।' राष्ट्रीय नेताओं, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों की रैलियों और जनसभाओं का समन्वय करने वाले वीरेंद्र बब्बर ने बताया कि भाजपा ने उन क्षेत्रों में केंद्रित अभियान चलाया जहां मतदाता अनिश्चित थे। उन्होंने कहा, 'हमने जल आपूर्ति, स्वच्छता, यमुना प्रदूषण और टूटी सड़कों जैसे मुद्दों पर जोर दिया, जिन्हें आप सरकार ने नजरअंदाज कर दिया था।' एक अन्य नेता ने कहा कि शीश महल ने आप की ‘आम आदमी’ छवि को धूमिल कर दिया और शराब घोटाले ने उसके भ्रष्टाचार विरोधी नीति को नुकसान पहुंचाया।