खत्म नहीं हुईं निमिषा प्रिया की उम्मीदें, अब भी बच सकती है जान; कैसे
- प्रिया साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की मौत के मामले में दोषी पाई गई थीं। तब ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। तब से ही उनका परिवार रिहाई के लिए संघर्ष कर रहा है।
यमन में मौत की सजा पाने वाली नर्स निमिषा प्रिया को भारत सरकार हर संभव मदद मुहैया करा रही है। हाल ही में उनकी सजा-ए-मौत पर यमन के राष्ट्रपति ने मुहर लगाई है। हालांकि, उनकी जान बचने की उम्मीद अब तक खत्म नहीं हुई है। उनके परिवार के वकील ने इसका उपाय भी बताया है। प्रिया 2017 में यमन के नागरिक की मौत के मामले में दोषी पाई गईं हैं।
एनडीटीवी से बातचीत में वकील सुभाष चंद्रन ने बताया है कि यमन में शरिया कानून है, जिसके तहत अगर पीड़ित का परिवार दिया की रकम लेकर आरोपी को माफ कर देता है, तो मौत की सजा पर रोक लग सकती है।
चैनल से चर्चा में उन्होंने कहा, 'हमने वहां (यमन) में कानून के कुछ जानकारों से बात की है और समझा है कि सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल के आदेश के बाद राष्ट्रपति की मुहर लेना औपचारिक प्रक्रिया है। इसके बाद भी अगर परिवार दिया रकम लेने और माफ करने तैयार हो जाता है, तो उनकी जान बच सकती है।'
चंद्रन ने बताया है कि यमन में राजनीतिक हालात के चलते पीड़ित के परिवार से चर्चा प्रभावित हो रही है। दरअसल, यमन में साल 2014 से ही हूती विद्रोहियों के चलते उथल पुथल का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हम यमन यात्रा नहीं कर पा रहे हैं और इसके लिए हमें सरकार के समर्थन की जरूरत है। अगर केंद्र सरकार बातचीत में मदद करती है, तो परिवार दिया की रकम के तौर पर जो भी मांगता है उसे सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशल एक्शन काउंसिल देने के लिए तैयार है।'
निमिषा प्रिया का केस
प्रिया साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की मौत के मामले में दोषी पाई गई थीं। तब ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। तब से ही उनका परिवार रिहाई के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने यमन के शीर्ष न्यायालय का भी रुख किया, लेकिन याचिका 2023 में खारिज हो गई। अब यमन के राष्ट्रपति राशिद अल अलीमी ने भी अपील खारिज कर दी है। ऐसे में परिवार के पास पीड़ित परिवार और आदिवासी नेताओं की तरफ से माफी मिलना ही रास्ता रह गया है।