US में भारतीय लॉबी कैसे हो रही मजबूत, भारतवंशी बनेगा CIA चीफ; पाकिस्तानियों के पेट में उठा मरोड़
बातचीत में कमर चीमा यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि अमेरिकी राजनीति और प्रशासन में कई लॉबी हावी रही हैं। कुछ सालों पहले तक इजरायली लॉबी बहुत ताकतवर थी लेकिन हाल के कुछ वर्षों में भारतीय लॉबी की तेजी से घुसपैठ हुई है और वे अहम पदों पर पहुंच रहे हैं।
अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनावों के बाद अब अगले साल जनवरी में डोनाल्ड ट्रम्प फिर से राष्ट्रपति का पद संभालेंगे। इसके साथ ही उनकी सरकार में कई भारतवंशियों के अहम पदों पर काबिज होने की संभावना है। ट्रम्प के खास माने जाने वाले गुजराती मूल के काश पटेल के अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी CIA का चीफ बनाए जाने की चर्चा है। इसके अलावा और भी कई नाम हैं जो ट्रम्प प्रशासन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। मौजूदा जो बाइडेन सरकार में भारतीय मूल की कमला हैरिस उप राष्ट्रपति हैं। अब नए उप राष्ट्रपति बनने जा रहे जेडी वेन्स की पत्नी उषा वेन्स भी भारतवंशी हैं।
कुल मिलाकर देखें तो हाल के कुछ वर्षों में अमेरिकी सरकार के अंदर भारतीय लॉबी मजबूत हुई है। भले ही शासन रिपब्लिकन की हो या डेमोक्रेट्स की लेकिन भारतवंशियों को दोनों ही सरकारों में अहम जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। भारतीय लॉबी की बढ़ती भागीदारी और अमेरिका की राजनीति में बढ़ते दखल से पड़ोसी देश पाकिस्तान के बुद्धिजीवियों में बड़ी बेचैनी है। पाकिस्तान के स्कॉलर डॉ. कमर चीमा ने पाक मूल के अमेरिकी राजनीतिज्ञ और बुद्धिजीवी डॉ. साजिद तरार से इस मुद्दे पर बातचीत की है, जिसे उनके यूट्बूब पेज पर पोस्ट किया गया है।
इस बातचीत में कमर चीमा यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि अमेरिकी राजनीति और प्रशासन में कई लॉबी हावी रही हैं। कुछ सालों पहले तक इजरायली लॉबी बहुत ताकतवर थी लेकिन हाल के कुछ वर्षों में भारतीय लॉबी की तेजी से घुसपैठ हुई है और वे अहम पदों पर पहुंच रहे हैं। इस पर साजिद तरार ने कहा कि भारत के प्रवासी (Diaspora) अब प्रवासी नहीं रह गए हैं बल्कि वे टेक्नोक्रेट हो चुके हैं और वे इतने मजबूत हो गए हैं कि चाहकर भी अमेरिका भारत या भारतीयों से अपने संबंध नहीं तोड़ सकता या कमतर भी नहीं कर सकता।
तरार ने ये भी कहा कि अमेरिका के पास कनाडा जैसा अब कोई च्वाइस नहीं रह गया है। पिछले दिनों कनाडा ने भारत के साथ अपने रिश्ते खराब कर लिए लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं कर सकता और इसकी बड़ी वजह अमेरिकी प्रशासन में भारतीयों के अहम पदों पर कब्जा है। उन्होंने कहा कि यहां बात सिर्फ काश पटेल की नहीं बल्कि उनके जैसे कई चेहरे हैं जो रिपब्लिकन पार्टी के अंदर बड़ा वजूद रखते हैं। तरार ने इसके साथ ही कुछ और भारतीयों का भी नाम बताया जो न सिर्फ ट्रम्प के लिए खासमखास हैं बल्कि रिपब्लिकन पार्टी में भी वह दमदार हैं। इसी कड़ी में उन्होंने रामास्वामी, निक्की हेली और बॉबी जिंदल का भी नाम लिया। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एपल जैसी कंपनियों के सीईओ का भी नाम लिया।
साजिद तरार ने कहा कि अमेरिका में टेक्निकल एजुकेशन से जुड़े इन्स्टीट्यूट में भारतीयों और चीनियों की भरमार है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका में पढ़ने का सिलसिला खत्म हो चुका है। इसलिए सभी संस्थानों में भारतीयों और चीनियों का कब्जा हो रहा है। उन्होंने कहा कि रक्षा से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट चीन और रूस को नहीं दिया जा सकता क्योंकि उनके साथ अमेरिका की दुश्मनी है। इसलिए बड़े-बड़े डिफेंस के कॉन्ट्रैक्ट इस वक्त भारतीयों के पास है।