Hindi Newsदेश न्यूज़Why India focuses on Act East policy in first 100 days of Modi Government third term How benefited semiconductor Mission

मोदी सरकार-3.0 के 100 दिन के एजेंडे में टॉप पर यूं ही नहीं है 'ऐक्ट ईस्ट' पॉलिसी, भारत को क्या-क्या फायदा

पीएम मोदी के सिंगपुर दौरे से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वह इस यात्रा पर सेमीकंडक्टर मिशन पर थे। भारत इस मिशन पर लगा हुआ है ताकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सके। बता दें कि सिंगापुर वैश्विक सेमीकंडक्टर उत्पादन में 10 फीसदी का योगदान देता है।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, शिशिर गुप्ता, नई गिल्लीFri, 6 Sep 2024 04:16 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के टॉप एजेंडे में 'ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी' रही है। इसकी बानगी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की हालिया विदेश यात्राओं में झलकती है। जब से केंद्र में मोदी सरकार- 3.0 आई है, तब से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री सभी ने आसियान देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्राएं की हैं। कल ही PM मोदी की ब्रुनेई और सिंगपुर की चार दिवसीय यात्राएं संपन्न हुई हैं।

100 दिनों में किन-किन देशों से रिश्ते प्रगाढ़

पिछले 100 दिनों में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फिजी और न्यूजीलैंड के अलावा तिमोर-लेस्त की यात्रा की। इनके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में वियतनाम और मलेशिया के प्रधानमंत्रियों की मेजबानी की फिर द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के लिए ब्रुनेई और सिंगापुर की यात्रा की। 2013 में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा एक दिन की ब्रुनेई की यात्रा को छोड़ दें तो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मोदी ब्रुनेई की यात्रा करे वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही पीएम मोदी की सिंगापुर और ब्रुनेई की यात्रा करना दक्षिण पूर्व एशिया के लिए उनकी कूटनीतिक प्राथमिकता और आसियान क्षेत्र के माध्यम से भारत की विकास नीति को दर्शाता है।

इनके अलावा मोदी सरकार-3.0 के पहले 100 दिनों के अंदर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और मलेशिया के अपने समकक्षों की नई दल्ली में मेजबानी की है और सिंगपुर एवं लागोस की मंत्रीस्तरीय यात्राएं भी की हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ब्रुनेई यात्रा का उद्देश्य ना केवल सल्तनत के साथ घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना था,बल्कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की इस गलतफहमी को भी दूर करना था कि नई दिल्ली के पास इस क्षेत्र के लिए बहुत कम समय है। इसके अलावा भारत ने ब्रुनेई के साथ रक्षा सहयोग पर भी बातचीत की। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध भी गहरे हैं।

सिंगापुर PM के साथ बिताए चार घंटे

प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के नए प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ भी द्विपक्षीय बातचीत की। बड़ी बात है कि मोदी सरकार की तीसरे कार्यकाल से एक महीने पहले ही लॉरेंस वोंग ने 15 मई, 2024 को प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था। इस दौरे पर पीएम मोदी और लॉरेंस वोंग का एक-दूसरे के साथ चार घंटे से अधिक समय बिताना इस बात का संकेत है कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को कितनी प्राथमिकता देते हैं।

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जब पीएम मोदी ने दो दिवसीय दौरे के लिए सिंगापुर में कदम रखा, ठीक उसी समय सिंगापुर की रियल एस्टेट डेवलपर कंपनी 'कैपिटलैंड' ने भारत में अपने प्रबंधन के तहत निधियों को दोगुना करके 90,280 करोड़ रुपये से अधिक करने का फैसला किया। इसके बाद दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए एक MoU पर दस्तखत किए। बता दें कि चीन और उसके समर्थकों के दबाव के बावजूद सिंगापुर आसियान में भारत का एक मजबूत समर्थक रहा है।

सेमीकंडक्टर मिशन पर थे PM मोदी

पीएम मोदी के सिंगपुर दौरे से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वह इस यात्रा पर सेमीकंडक्टर मिशन पर थे। भारत इस मिशन पर लगा हुआ है ताकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सके। बता दें कि सिंगापुर वैश्विक सेमीकंडक्टर उत्पादन में 10 फीसदी का योगदान देता है, जबकि सेमीकंडक्टक उपकरण उत्पादन में 20 फीसदी का योगदान देता है। दुनिया के टॉप सेमीकंडक्टर फर्मों में से 9 ने सिंगपुर में ही अपना कारोबार स्थापित कर रखा है।

भारत और सिंगापुर ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की पैरवी करते हुए दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता और नौवहन की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान जारी संयुक्त बयान में, दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई, जिससे मुक्त व्यापार और खुले बाजारों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के तीन पीढ़ियों के नेताओं से मुलाकात की।

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