Hindi Newsदेश न्यूज़Why China got alert over PM Modi Brunei visit why Beijing also in tussle with small Muslim country

PM मोदी के ब्रूनेई दौरे से चीन के खड़े हुए कान? इस मुस्लिम देश से भी बीजिंग की क्यों है खींचतान

हाल के दिनों में दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपीन, जापान तथा अमेरिका समेत अन्य देशों के बीच अकसर टकराव देखा गया है। ब्रुनेई के साथ भी चीन का टकराव चल रहा है। ब्रुनेई, आधिकारिक तौर पर ब्रुनेई दारुस्सलाम कहलाता है। यह भारत से 7486 किलोमीटर दूर एक आईलैंड है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 5 Sep 2024 05:11 PM
share Share

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को मजबूत करने के लिए इन दिनों दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के पहले चरण में उन्होंने ब्रुनेई का दो दिवसीय दौरा किया। इस दौरान दोनों देशों ने नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर दिया और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत और ब्रुनेई ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत निरंतर नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।

यह भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई की पहली द्विपक्षीय यात्रा थी जो दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई। इस यात्रा के मद्देनजर पड़ोसी देश चीन के कान खड़े हो गए हैं । हालांकि बीजिंग की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। दरअसल, पीएम मोदी ने इस दौरे पर चीन को इशारों-इशारों में कड़ा संदेश दिया है। पीएम ने कहा कि भारत विस्तारवाद की नहीं, विकास की नीति का समर्थन करता है। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया। बता दें कि ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर के दक्षिण में स्थित है, जिस पर लगभग पूरी तरह से बीजिंग अपना दावा करता रहा है।

हाल के दिनों में दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपीन, जापान और अमेरिका समेत अन्य देशों के बीच अकसर टकराव देखा गया है। ब्रुनेई के साथ भी चीन का गुप्त टकराव चल रहा है। ब्रुनेई, आधिकारिक तौर पर ब्रुनेई दारुस्सलाम कहलाता है। यह भारत से 7,486 KM दूर स्थित है। यह मलेशिया की सीमा से लगे बोर्नियो द्वीप पर स्थित है, जहां कुल 3 देश बसे हैं। इनमें में से एक है ब्रुनेई। यह एक इस्लामिक देश है। यहां की आबादी 4 लाख के करीब है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत और ब्रुनेई के बीच करीब 25 करोड़ डॉलर का कारोबार होता है। इसमें बड़ी हिस्सेदारी हाईड्रोकार्बन्स की है।

चीन-ब्रुनेई द्विपक्षीय संबंध

ब्रुनेई और बीजिंग के बीच द्विपक्षीय संबंधों का लंबा इतिहास रहा है, जो लगभग 2,000 साल पुराना है। जब हान राजवंश का चीन पर शासन था, तब से ब्रुनेई और चीन के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। चीन में मिंग राजवंश के शासन के दौरान, 15वीं शताब्दी में नानजिंग में ब्रुनेई सुल्तान अब्दुल मजीद हसन का मकबरा बनाया गया था लेकिन कुछ दशकों से चीन और ब्रुनेई के बीच सीमा विवाद को लेकर रिश्ते ज्यादा मधुर नहीं रहे हैं। दरअसल, ब्रुनेई की 160 किलोमीटर समुद्री तट रेखा है जो तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार है। चीन ना केवल उन क्षेत्रों पर अपना वर्चस्व चाहता है बल्कि चीन सागर में अपनी बढ़ती सैन्य दादागिरी के कारण भी ब्रुनेई को निशाने पर ले रखा है।

दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी सीमा को तथाकथित 9-डैश लाइन के जरिए परिभाषित करता है,जो हाल के वर्षों में 10-डैश लाइन बन गई है। चीन की समुद्री सीमा रेखा के पांचवें और छठे डैश लाइन ब्रुनेई की समुद्री रेखा से 35 समुद्री मील के भीतर तक जाती है, जो तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार है। ब्रुनेई को इस पर आपत्ति है। 

चीन-ब्रुनेई विवाद की दूसरी बड़ी चिंता समुद्री क्षेत्र के चरित्र को लेकर है। लुइसा रीफ और राइफलमेन बैंक ब्रुनेई का ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है जो एक्सक्लूसिव इकॉनमिक जोन के तहत आता है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित है। यूएन ब्रुनेई को 12 समुद्री मील तक के क्षेत्रीय अधिकारों और 200 समुद्री मील तक के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अधिकार का दावा करने की अनुमति देता है लेकिन चीन को इस पर आपत्ति है। इसी वजह से ब्रुनेई ने कभी भी लुइसा रीफ और राइफलमेन बैंक पर अपना दावा नहीं किया है लेकिन उसे वह अपना ही तटीय हिस्सा मानता रहा है। इन दोनों पर चीन और वियतनाम के बीच भी विवाद है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें