असम में 24 जगहों पर बम लगाने का दावा, गुवाहाटी में IED जैसी 2 वस्तुएं मिलीं; कौन है ULFA-I?
- गुवाहाटी में बताए गए अन्य स्थलों में नरंगी में सेना छावनी की ओर सतगांव रोड, आश्रम रोड, पानबाजार, जोराबाट, भेटापारा, मालीगांव और राजगढ़ शामिल हैं।
प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) ने गुरुवार को दावा किया कि उसने स्वतंत्रता दिवस पर राज्य भर में 24 स्थानों पर बम लगाए हैं। इससे पुलिस और जनता में खलबली मच गई। पुलिस के बम निरोधक दस्तों ने कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है और बम जैसी कई वस्तुएं बरामद कीं। किसी भी स्थान पर कोई विस्फोट नहीं हुआ और कोई भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ।
बम लगाने की धमकी तब सार्वजनिक हुई जब संगठन ने राज्य के कुछ मीडिया हाउस को भेजे गए एक बयान में इसका जिक्र किया। उल्फा (आई) ने पीटीआई समेत मीडिया घरानों को भेजे गए ईमेल में दावा किया है कि उसके बम "तकनीकी समस्या" के कारण नहीं फटे हैं।
उल्फा-आई के प्रचार विंग के सदस्य इशान असोम (नकली नाम) द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "15 अगस्त को सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक सशस्त्र विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई गई थी। तकनीकी खराबी के कारण कार्यक्रम निर्धारित समय पर नहीं हो सका। इसलिए, सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, विरोध प्रदर्शन के स्थानों को सार्वजनिक कर दिया गया है।"
संगठन ने सिबसागर और लखीमपुर में दो स्थानों, लकुवा, डिब्रूगढ़, लालुक, बोरघाट, नागांव, नलबाड़ी और तामुलपुर में एक-एक स्थान और गुवाहाटी में आठ स्थानों का नाम बताया। संगठन ने कहा कि तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, गोलाघाट और सरूपथर में 5 अन्य स्थानों पर बम रखे गए थे - लेकिन उनके सटीक स्थानों के बारे में नहीं बताया।
उल्फा-आई ने बमों को खोजने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए जनता से सहयोग का आग्रह किया। असम पुलिस के डीजीपी जीपी सिंह ने बताया कि विस्फोटक उपकरणों की तलाश में कई स्थानों पर तलाशी ली गई। उन्होंने कहा, "गुवाहाटी में दो स्थानों पर संदिग्ध वस्तुएं मिलीं, जिन्हें पुलिस के बम निरोधक दस्ते ने खोला। इन वस्तुओं में इग्निशन डिवाइस नहीं है, कुछ सर्किट और बैटरियां देखी गई हैं। अंदर मौजूद पदार्थ को फोरेंसिक/रासायनिक जांच के लिए भेजा जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि लखीमपुर, सिबसागर, नलबाड़ी और नागांव में भी इसी तरह की वस्तुएं देखी गई हैं, जिन्हें सुरक्षित तरीके से निपटाया गया है। बरामदगी की जांच शुरू कर दी गई है। परेश बरुआ के नेतृत्व वाला और संप्रभु असम की मांग करने वाला उल्फा-आई असम का एकमात्र प्रमुख आतंकवादी संगठन है, जो केंद्र के साथ शांति वार्ता में शामिल नहीं है या जिसने शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। यह संगठन नियमित रूप से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोहों के बहिष्कार का आह्वान करता है और अतीत में इन दिनों स्थानों पर छोटे बम जैसे उपकरण लगा चुका है।
आखिर क्या है ULFA(I)
ULFA(I) या उल्फा (स्वतंत्र) का पूरा नाम यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) है। यह एक प्रतिबंधित संगठन है जो असम में सक्रिय है। इसका मुख्य उद्देश्य असम को भारत से अलग करके एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना है। यह संगठन सशस्त्र संघर्ष और हिंसक गतिविधियों में लिप्त रहा है, जिसके चलते इसे भारत सरकार द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। ULFA(I) की स्थापना 1979 में हुई थी और इसके संस्थापकों में प्रमुख नाम परेश बरुआ और अरविंद राजखोवा शामिल हैं।