Hindi Newsदेश न्यूज़Who is Justice Ravi Kumar Diwakar from praising CM Yogi Adityanath to love jihad comment

कभी सीएम योगी की तारीफ तो कभी लव जिहाद पर टिप्पणी, कौन हैं जज रवि कुमार दिवाकर

  • जस्टिस दिवाकर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की थी। सीएम योगी को उन्होंने समर्पण और त्याग के साथ सत्ता पर काबिज होने वाले धार्मिक व्यक्ति का आदर्श उदाहरण बताया था।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 4 Oct 2024 12:15 PM
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उत्तर प्रदेश के जिला न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की ओर से लव जिहाद पर की गई टिप्पणी पर हंगामा मचा हुआ है। इसे लेकर लोग न्यायपालिका के रवैये पर भी सवाल उठाने लगे हैं। दिवाकर बरेली के अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक अदालत-प्रथम) हैं। उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के युवक को पहचान छुपाकर बहुसंख्यक वर्ग की युवती से दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन की कोशिश के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्होंने 'लव जिहाद' को लेकर तल्ख टिप्पणी भी की। जस्टिस दिवाकर ने कहा कि लव जिहाद का प्राथमिक उद्देश्य जनसांख्यिकीय युद्ध छेड़ना है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय साजिश के माध्यम से भारत के खिलाफ कुछ असामाजिक तत्वों की ओर से प्रभुत्व जमाना है। उन्होंने कहा अवैध धर्मांतरण का उद्देश्य भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियां पैदा करना है।

दिवाकर ने इस बात पर जोर दिया कि अवैध धर्मांतरण देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने देवरनिया क्षेत्र के जादौंपुर के निवासी मोहम्मद आलिम को आनंद बनकर हिंदू छात्रा से दुष्कर्म और उसका धर्मांतरण कराने की कोशिश के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुनाई। उसके पिता को भी इस हरकत में शामिल होने के आरोप में 2 साल कैद की सजा सुनाई गई। जस्टिस दिवाकर ने कहा कि यह लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण का मामला है। मनोवैज्ञानिक दबाव, शादी और नौकरी जैसे प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। अदालत ने कहा कि अगर इस मुद्दे को समय रहते हल नहीं किया गया तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।

सीएम योगी की जस्टिस दिवाकर ने जमकर तारीफ की

यह पहला मौका नहीं है जब दिवाकर ने अपने बयानों के चलते सुर्खियां बटोरी हैं। इसी साल मार्च में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की थी। सीएम योगी को उन्होंने समर्पण और त्याग के साथ सत्ता पर काबिज होने वाले धार्मिक व्यक्ति का आदर्श उदाहरण बताया था। उन्होंने कहा, 'भारत में दंगों का कारण यह है कि राजनीतिक दल विशेष धर्म के तुष्टीकरण में लगे हुए हैं। इससे उस धर्म विशेष के लोगों का मनोबल काफी बढ़ जाता है। उन्हें विश्वास हो जाता है कि अगर वे दंगे करवा देंगे तो सत्ता संरक्षण के कारण उनका बाल भी बांका नहीं होने वाला है।' साल 2010 के बरेली दंगा मामले में मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खान को तलब करते हुए जस्टिस ने ये टिप्पणियां कीं।

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में दिया था अहम आदेश

हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जस्टिस दिवाकर की इन टिप्पणियों को हटाने में तेजी दिखाई। अदालत ने कहा कि किसी न्यायिक अधिकारी से आदेशों में व्यक्तिगत धारणाओं को व्यक्त करने की अपेक्षा नहीं की जाती है। एचसी के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कहा कि दिवाकर ने अनुचित टिप्पणियां की हैं जिनमें राजनीतिक निहितार्थ और व्यक्तिगत विचार शामिल हैं। न्यायिक अधिकारी से अपेक्षा होती है कि वह मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते समय बहुत ही संतुलित अभिव्यक्ति करेगा। रवि कुमार दिवाकर वही जज हैं, जिन्होंने 2022 में अदालत की ओर से नियुक्त आयुक्त को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर हिंदू देवताओं की उपस्थिति का निरीक्षण करने, वीडियोग्राफी करने और सबूत इकट्ठा करने की इजाजत दी थी। मगर, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया और मामले को वाराणसी के दूसरे जिला न्यायाधीश को सौंपा।

यूपी के रहने वाले और भाजपा नेता के दामाद

बता दें कि जस्टिस रवि कुमार दिवाकर उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने साल 1999 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद क्रमशः 2002, 2005 और 2007 में बी.कॉम, एलएलबी और एलएलएम की डिग्री हासिल की। साल 2009 में यूपी के आजमगढ़ में मुंसिफ (सिविल जज, जूनियर डिवीजन) के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। 2023 में वह बरेली में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, दिवाकर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंत्री चंद्र किशोर सिंह के दामाद हैं। सिंह महराजगंज से तीन बार विधानसभा सदस्य रहे हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया और तीन भाजपा मुख्यमंत्रियों (कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह) के अधीन अन्य विभागों का कार्यभार संभाला था। बताते हैं कि चंद्र किशोर सिंह कभी सीएम योगी के करीबी हुआ करते थे।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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