Hindi Newsदेश न्यूज़What was Hindu Growth Rate in Indian Economy How Manmohan Singh gave freedom from this insult

क्या था भारतीय अर्थव्यवस्था का 'हिन्दू ग्रोथ रेट', इस अपमान से मनमोहन सिंह ने कैसे दिलाई थी मुक्ति

जब नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्रालय की कमान दी और आर्थिक सुधारों को लागू करने की पूरी छूट दी तो मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को लागू किया था। इस क्रांतिकारी कदम ने भारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंक दी थी।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Dec 2024 03:56 PM
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1991 में अपना पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन सौम्य वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आश्चर्यजनक रुप से राष्ट्र को एक साहसिक बजट सौपते हुए कहा था कि दुनिया में कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ चुका हो। उनका इशारा भारतीय अर्थव्यवस्था में होने वाले आगामी सुधारों की तरफ था। उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था नाजुक दौर में थी और भारत के पास सिर्फ 5.80 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, जबकि देश पर करीब 70 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था।

जब उन्होंने वित्त मंत्रालय की कमान संभाली थी, तब देश राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था। पिछले तीन सालों में देश ने तीन प्रधानमंत्री देखे थे। लिहाजा देश की अर्थव्यवस्था हिचकोले ले रही थी। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्रालय की कमान दी और आर्थिक सुधारों को लागू करने की पूरी छूट दी तो मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को लागू किया था। इस क्रांतिकारी कदम ने भारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंक दी थी। कई विदेशी कंपनियों ने भारत में निवेश करना शुरू कर दिया। लाइसेंस राज खत्म होते ही निजी क्षेत्र ने भी तेजी से विकास करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने लगा।

क्या होता है हिन्दू विकास दर?

1990 के दौर से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को हिन्दू विकास दर (Hindu Growth Rate) कहकर बदनाम किया जाता था ऐसा इसलिए कहा जाता था क्योंकि 1950 से 1980 के दशक तक भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर औसतन 4 फीसदी के आसपास होती थी। हिंदू विकास दर शब्द का ईजाद भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण द्वारा 1978 में किया गया था। यह 1991 के आर्थिक सुधारों से पहले भारत की अर्थव्यवस्था की वार्षिक वृद्धि दर को रेखांकित करता है।

मनमोहन सिंह के उदारीकरण की वजह से डेढ़ दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर सात फीसदी से ऊपर तक चली गई। जब वह देश के प्रधानमंत्री बने तो उके 10 वर्षों के कार्यकाल में GDP ग्रोथ रेट आठ से नौ फीसदी तक पहुंच गया था। साल 2007 में भारत ने ऐतिहासिक रूप से 8 से 9 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल कर लिया था और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया। इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णिम काल कहा जाता था।

मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में आम जनों के लिए भी कई सुधारात्मक काम किए। उनके कार्यकाल में ही राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना लागू की गई, जिसमें ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन काम की गारंटी दी गई। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा कानून, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, किसानों का 60,000 करोड़ कर्जमाफी, भूमि अधिग्रहण कानून लागू किया गया। इसके अलावा बैंकों का सुदृढीकरण, गांव-गांव बैंकों का जाल, रोजगार आदि के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किए गए थे।

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