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दिल का दौरा और हृदय गति रुकना, कैसे अलग हैं और क्या अंतर; डिटेल समझें

  • कई बार हमें ऐसी खबरें मिलती हैं कि किसी प्रसिद्ध शख्सियत की मौत हृदय गति रुकने से हो गई। इसे अमूमन दिल का दौरा या हार्ट अटैक ही समझ लिया जाता है। हालांकि यह दोनों एक नहीं हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानMon, 9 Sep 2024 12:20 PM
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कोरोना महामारी के बाद से कम उम्र के लोगों की भी हार्ट अटैक या हृदय गति रुकने से मौत की खबरें बढ़ गई हैं। हम अक्सर इन दोनों स्थितियों को एक ही मान लेते हैं। मीडिया में भी इन दोनों कंडीशन को अदल-बदल कर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यह दोनों स्थितियां एक नहीं हैं। हृदय गति रुकना और दिल का दौरा दोनों हृदय से जुड़ी अलग-अलग लेकिन एक दूसरे से संबंधित बातें हैं। क्या आप जानते हैं कि दिल किस तरह काम करता है? यह जानने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि दिल का दौरा और हृदय गति रुकना किस तरह अलग हैं और किस तरह एक दूसरे से जुड़े हुए भी हैं।

कैसे काम करता है दिल?

हृदय एक मांसपेशी है जो पंप के रूप में काम करने के लिए सिकुड़ती है। जब यह सिकुड़ती है तो यह खून, जिसमें ऑक्सीजन और पोषक तत्व होते हैं हमारे शरीर के सभी टिश्यू तक पहुंचाती है। हृदय की मांसपेशियों को पंप के रूप में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए उसे कोरोनरी धमनियों द्वारा पहुंचाई जाने वाली खून की आपूर्ति की जरूरत होती है। यदि ये धमनियां ब्लॉक हैं तो हृदय की मांसपेशियों को जरूरी मात्रा में खून नहीं मिल पाता है। इससे हृदय की मांसपेशी डैमेज हो सकती है या पूरी तरह मर भी सकती है। नतीजतन दिल ठीक से खून पंप नहीं कर पाता।

दिल का दौरा या हृदय गति रुकना?

सरल शब्दों में कहें तो दिल का दौरा जिसे तकनीकी रूप से मायोकार्डियल इन्फार्क्शन कहा जाता है हृदय की मांसपेशी में चोट लगने या उसके मरने की स्थिति के कारण पड़ता है। हृदय गति रुकना तब होता है जब हृदय धड़कना बंद कर देता है या दूसरे शब्दों में कहें तो प्रभावी पंप के रूप में काम करना बंद कर देता है। साधारण भाषा में कहें तो दोनों ही हृदय के ठीक से काम न करने से संबंधित हैं लेकिन अलग-अलग कारणों से।

ऐसा क्यों होता है?

दिल का दौरा आम तौर पर कोरोनरी धमनियों में रुकावट के कारण होता है। लगभग 75 प्रतिशत लोगों में इसका मूल कारण ‘एथेरोस्क्लेरोसिस’ नामक प्रक्रिया है। यह वह स्थिति है जब कोरोनरी धमनियों की दीवारों में वसा या फैट जमा हो जाते हैं जिससे एक परत बन जाती है। परत ब्लड वेसल्स को अवरुद्ध कर सकती है या कुछ मामलों में रक्त का थक्का बनने का कारण बन सकती है। एथेरोस्क्लेरोसिस एक धीरे धीरे गुपचुप तरीके से होने वाली प्रक्रिया है जिसके कई कारण हैं जो किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, तनाव और हमारी जीन सभी इस परत की निर्माण प्रक्रिया में शामिल हैं। दिल के दौरे के अन्य कारणों में कोरोनरी धमनियों में ऐंठन (जिसके कारण वे सिकुड़ जाती हैं), छाती में चोट, या कोई अन्य कारण जो हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को कम कर देता है शामिल हैं।

हृदय गति रुकना कैसे अलग

वहीं हृदय गति रुकना हृदय की धड़कन की अनियमितता का परिणाम है जिससे हृदय के लिए शरीर में रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करना कठिन हो जाता है। दिल की धड़कन में ये अनियमितताएं आमतौर पर दिल में ‘इलेक्ट्रिकल’ व्यवधान के कारण होती हैं। इसके चार अलग-अलग प्रकार हैं-

1. वेंट्रीकुलर टैचीकार्डिया: हृदय की एक तेज और असामान्य लय जिसमें हृदय की धड़कन 100 धड़कन प्रति मिनट से अधिक होती है (सामान्य वयस्क में विश्राम की अवस्था में हृदय गति आम तौर पर 60-90 धड़कन प्रति मिनट होती है)। यह तेज हृदय गति हृदय को रक्त से भरने और इस प्रकार पर्याप्त रूप से पंप करने से रोकती है।

2. वेंट्रीक्युलर फिब्रिलेशन: नियमित धड़कन के बजाय हृदय कांपता है या “फाइब्रिलेट” होता है, जिसके कारण अनियमित हृदय गति 300 धड़कन प्रति मिनट से अधिक हो जाती है।

3. बिना नब्ज के ‘इलेक्ट्रिकल’ गतिविधि: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हृदय की मांसपेशी इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन के बाद पर्याप्त पंपिंग बल पैदा करने में विफल हो जाती है जिसके कारण कोई नब्ज नहीं मिलती है।

4. एसिस्टोल: फिल्मों में दिखाई देने वाली क्लासिक ‘सपाट रेखा’ वाली हृदय लय, जो हृदय में किसी इलेक्ट्रिकल गतिविधि का संकेत नहीं देती है।

हृदयगति रुकने की अनेक स्थितियां हो सकती हैं जो हृदय से संबंधित भी हो सकती हैं जैसे डूबना, आघात, सांस लेने में तकलीफ, विद्युत शॉक और नशीली दवाओं का अधिक सेवन। हालांकि हृदय गति रुकने के अनेक कारणों में से एक इस्केमिक हृदय रोग जैसे कि दिल का दौरा सबसे आम कारण है जो सभी मामलों में 70 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

यानी आपस में जुड़े हैं दोनों

तो फिर दिल का दौरा पड़ने से हृदय गति कैसे रुक सकती है? जैसा कि हमने जाना कि दिल का दौरे पड़ने के दौरान हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं या उसके कुछ हिस्से मर सकते हैं। यह क्षतिग्रस्त या मृत टिश्यू हृदय की ‘इलेक्ट्रिकल’ संकेतों को संचालित करने की क्षमता को बाधित कर सकता है जिससे हृदयगति की लय में बाधा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिये दिल का दौरा जहां हृदयगति रुकने का एक सामान्य कारण है वहीं हृदयगति रुकने से आमतौर पर दिल का दौरा नहीं पड़ता है।

क्या होते हैं लक्षण?

क्योंकि हृदय गति रुकने के कारण हृदय की प्रभावी पंपिंग अचानक बंद हो जाती है इसलिए सबसे आम संकेत और लक्षण हैं अचानक होश ना रहना, नब्ज या दिल की धड़कन का बंद हो जाना, सांस रुक जाना, या त्वचा का पीला या नीला पड़ जाना। लेकिन दिल के दौरे के सामान्य संकेतों और लक्षणों में सीने में दर्द या बेचैनी शामिल है जो शरीर के अन्य हिस्सों जैसे हाथ, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में भी हो सकती है। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ, मतली, चक्कर आना और पसीना आना भी आम लक्षण है।

साफ शब्दों में क्या है दोनों स्थितियां

दिल का दौरा और हृदय गति रुकना हालांकि दोनों ही हृदय से संबंधित हैं लेकिन उनकी प्रक्रिया और परिणाम अलग-अलग हैं। दिल का दौरा घर में पानी की आपूर्ति करने वाली पाइपलाइन में रुकावट की तरह है। लेकिन हृदय गति रुकना घर की वायरिंग में बिजली की खराबी की तरह है। अपनी अलग-अलग प्रकृति के बावजूद दोनों स्थितियों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं और तुरंत इलाज की जरूरत होती है।

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