क्या है इसरो का SPADEX मिशन, अंतरिक्ष में जोड़ेगा दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट; चीन-अमेरिका की बराबरी
- SPADEX MISSION: इस मिशन में इसरो दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को जोड़ेगा। अगर यह सफल हो जाता है तो भारत ऐसा करने वाले चीन और अमेरिका की बराबरी कर लेगा।
चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पहले ही दुनिया में पहला कारनामा कर चुका है। अब इसरो दिसंबर महीने में स्पैडेक्स मिशन को लॉन्च कर भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में पहला एक्सपेरिमेंट करने जा रहा है। इस मिशन में इसरो की योजना दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को जोड़ने की है। अगर यह सफल हो जाता है तो भारत ऐसा करने वाले चीन और अमेरिका समेत कुछ चुनिंदा देशों की बराबरी कर लेगा।
इसरो पृथ्वी के ऊपर एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है और स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट मिशन (SPADEX -Space Docking Experiment) के साथ इस दिशा में पहला कदम उठाने वाला है। स्पैडेक्स मिशन भारत को अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के खास क्लब में एंट्री दे सकता है।
कब है लॉन्चिंग और मिशन की खासियत
दिसंबर महीने में लॉन्च होने वाला SPADEX मिशन अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने वाला भारत का अपना पहला मिशन होगा। इस मिशन से भारत को भविष्य के जटिल अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। मिशन में 400 किलोग्राम के दो उपग्रह, "चेजर" और "टारगेट" को शामिल किया जाएगा, जिन्हें पीएसएलवी श्रेणी के रॉकेट के जरिए धरती से एक साथ लॉन्च किया जाना है।
एक बार 700 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचाने के बाद ये उपग्रह एक सटीक रूप से व्यवस्थित तरीके से अलग होंगे और डॉकिंग के साथ मिशन पूरा हो जाएगा। इससे भारत को आगामी मिशनों के तहत अंतरिक्ष स्टेशन बनाने, उपग्रह में ईंधन भरने और अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रियों या सामान का स्थानांतरण करने में मदद मिलेगी।
यदि SPADEX मिशन सफल रहा तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ अंतरिक्ष में डॉकिंग करने वाले कुछ देशों में से एंट्री ले लेगा।