क्या है मिशन शुक्रयान? ISRO कब लॉन्च करेगा वीनस ऑर्बिटर मिशन और क्यों जरूरी है ये अभियान
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बीते साल एक व्याख्यान के दौरान कहा था कि शुक्र के वायुमंडल और उसके अम्लीय व्यवहार को समझने के लिए वहां एक मिशन भेजना जरूरी है। माना जा रहा है कि शुक्रयान मिशन शुक्र ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव का अध्ययन करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने आज (बुधवार, 18 सितंबर को) अंतरिक्ष मिशन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए कुल 31,772 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी है। इसके तहत चंद्रयान-4 मिशन, गगनयान और शुक्रयान समेत अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना पर जोर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इन योजनाओं को मंजूरी देते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए 2040 का रोडमैप तैयार कर दिया है।
मंत्रिमंडल ने चंद्रयान-4 मिशन के अलावा जिस बड़े मिशन को मंजूरी दी है, उनमें शुक्रयान भी बतौर बड़ा मिशन शामिल है। इसके तहत शुक्र परिक्रमा-यान मिशन (Venus Orbit Mission) के विकास को मंजूरी दी गई है। यह चंद्रमा और मंगल मिशन से परे शुक्र ग्रह के अन्वेषण और अध्ययन के सरकार के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
कब तक होगा पूरा?
शुक्र ग्रह के बारे में माना जाता है कि यह कभी रहने योग्य हुआ करता था और काफी हद तक पृथ्वी के समान था। ऐसे में शुक्र के परिवर्तन के अंतर्निहित कारणों का अध्ययन शुक्र और पृथ्वी दोनों बहन ग्रहों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगा। खास बात यह है कि यह ग्रह बिल्कुल पृथ्वी की तरह और पृथ्वी के आकार जैसा है। वहां भी अतीत में महासागर और जलवायु था लेकिन अब शुक्र ग्रह रहने लायक नहीं है। इस अभियान के लिए अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण का दायित्व भी इसरो का ही होगा। इस मिशन के मार्च 2028 तक पूरा होने की संभावना है।
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बीते साल एक व्याख्यान के दौरान कहा था कि शुक्र के वायुमंडल और उसके अम्लीय व्यवहार को समझने के लिए वहां एक मिशन भेजना जरूरी है। माना जा रहा है कि शुक्रयान मिशन शुक्र ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव का अध्ययन करेगा। इसका वायुमंलीय दाब पृथ्वी से 100 गुना ज्यादा है। सरकार ने मिशन शुक्रयान के लिए 1236 करोड़ रुपये के फंड को मंजूदी दी है। इसमें से 824 करोड़ रुपए सिर्फ शुक्रयान अंतरिक्ष यान के विकास पर खर्च किया जाएगा।
मिशन क्यों जरूरी?
यह मिशन भारत को विशालतम पेलोड को उपयुक्त कक्षा में उपग्रह को छोड़ने सहित भविष्य के ग्रह संबंधी मिशनों में सक्षम बनाएगा। ऐसे अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान के विकास के दौरान भारतीय उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। मिशन शुक्रयान वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि ग्रहों का वातावरण अलग-अलग तरीके से कैसे विकसित हुआ, भले ही वे एक जैसे ही शुरू हुए हों। मिशन के तहत शुक्र ग्रह की मिट्टी भी धरती पर लाने की योजना है।
इसके जरिए वैज्ञानिक इस मिशन के तहत शुक्र ग्रह की सतह, उपसतह और वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का भी अध्ययन कर सकेंगे। मिशन यह भी अध्ययन करेगा कि सूर्य शुक्र के वायुमंडल को कैसे प्रभावित करता है। शुक्र ग्रह पर से प्राप्त डेटा को वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा करने का भी प्लान है। ये मिशन छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रशिक्षण के अवसर भी प्रदान करेगा। ये मिशन भविष्य के ग्रहों के अन्वेषणों का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।