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सावधान! भारतीयों से 4 महीने में 120 करोड़ रुपये की ठगी, डिजिटल अरेस्ट कितना बड़ा खतरा

  • गृह मंत्रालय भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के जरिए केंद्रीय स्तर पर साइबर अपराध की निगरानी करता है। इसके मुताबिक, डिजिटल अरेस्ट हाल के दिनों में डिजिटल धोखाधड़ी का प्रचलित तरीका बन गया है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानMon, 28 Oct 2024 09:04 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में देशवासियों को डिजिटल अरेस्ट के प्रति आगाह किया था। साइबर अपराध डेटा से पता चलता है कि इस साल की पहली तिमाही में कई भारतीयों को डिजिटल गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। इस धोखाधड़ी में 120.30 करोड़ रुपये गंवाने पड़े हैं। गृह मंत्रालय भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के जरिए केंद्रीय स्तर पर साइबर अपराध की निगरानी करता है। इसके मुताबिक, डिजिटल अरेस्ट हाल के दिनों में डिजिटल धोखाधड़ी का प्रचलित तरीका बन गया है। इसे अंजाम देने वाले ज्यादातर जालसाज तीन निकटवर्ती दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (म्यांमार, लाओस और कंबोडिया) से रहे हैं।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने इस साल जनवरी से अप्रैल तक के डिजिटल गिरफ्तारी मामलों का विश्लेषण किया। इसमें पाया कि इस अवधि में दर्ज की गई 46% साइबर धोखाधड़ी उपरोक्त तीन देशों से अंजाम दी गईं। इसके शिकार पीड़ितों को अब तक कुल मिलाकर करीब 1,776 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। I4C के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश कुमार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, 'पीड़ितों को ट्रेडिंग घोटालों में 1,420.48 करोड़, निवेश घोटालों में 222.58 करोड़ और रोमांस/डेटिंग घोटालों में 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।'

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट और कैसे करते हैं ठगी

दरअसल, इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपयोग के बीच डिजिटल अरेस्ट फरेब का एक बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। इसमें किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है और उसे जुर्माना देना होगा। कई लोग ऐसे मामलों में डर जाते हैं और शिकार बन जाते हैं। इस तरह के फर्जी कॉल आने की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। लोगों को अलग-अलग तरीकों से झूठी बातों के आधार पर डराया जाता है और फिर उस कथित समस्या से बचने के बदले मोटी रकम मांगी जाती है। अक्सर लोग ऐसी स्थिति में अपनी सूझबूझ खो देते हैं और आर्थिक नुकसान कर बैठते हैं।

डिजिटल अरेस्ट से बचने का पीएम मोदी ने दिया मंत्र

पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इससे बचने के लिए कुछ सझाव दिए थे। उन्होंने देशवासियों से ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया और इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। डिजिटल अरेस्ट से जुड़े एक फरेबी और पीड़ित के बीच बातचीत का वीडियो भी साझा किया। उन्होंने कहा कि कोई भी एजेंसी न तो धमकी देती है, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है और न ही पैसों की मांग करती है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के फरेब करने वाले गिरोह कैसे काम करते हैं और कैसे खतरनाक खेल खेलते हैं। इसके शिकार होने वालों में हर वर्ग और हर उम्र के लोग हैं और वे डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपए गंवा देते हैं।

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