रिटायर होने के बाद जजों को राजनीति में जाना चाहिए? पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कही दिल की बात
- उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश भी नागरिक होते हैं और उन्हें वही अधिकार प्राप्त हैं जो किसी अन्य नागरिक को होते हैं, लेकिन समाज उनसे उच्च स्तर के आचरण की अपेक्षा करता है।
क्या रिटायर हो चुके जजों को राजनीति में शामिल होना चाहिए? इस अहम सवाल को लेकर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने बड़ा बयान दिया। चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भी न्याय प्रणाली के संरक्षक के रूप में देखता है और उनके आचरण को उस विश्वास के अनुरूप होना चाहिए जो समाज न्यायिक व्यवस्था में रखता है।
एनडीटीवी के "संविधान@75" कॉन्क्लेव में जब उनसे यह पूछा गया कि क्या न्यायाधीशों को राजनीति में प्रवेश करना चाहिए? इस पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि संविधान या कानून में ऐसा करने पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘समाज आपको सेवानिवृत्ति के बाद भी न्यायाधीश के रूप में देखता है, इसलिए, जो काम दूसरे नागरिकों के लिए ठीक है, वह न्यायाधीशों के लिए पद से हटने के बाद भी ठीक नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य रूप से यह हर न्यायाधीश को तय करना होता है कि सेवानिवृत्ति के बाद उनके द्वारा लिया गया निर्णय उन लोगों पर असर डालेगा या नहीं, जो न्यायाधीश के रूप में उनके द्वारा किए गए काम का मूल्यांकन करते हैं।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि 65 साल की उम्र के बाद वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे उनके काम या न्यायपालिका की साख पर सवाल उठे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ दो साल तक सीजेआई के रूप में काम करने के बाद 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए।
उन्होंने कहा, "जब आप कार्यालय छोड़ते हैं, तब भी समाज आपको न्यायाधीश के रूप में देखता है। इसलिए, जो चीजें अन्य नागरिकों के लिए सामान्य हैं, समाज उम्मीद करता है कि वे न्यायाधीशों के लिए सही नहीं होंगी, भले ही वे कार्यालय में न हों।" पूर्व सीजेआई ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य राजनीति में गए पूर्व न्यायाधीशों पर आरोप लगाना नहीं है। उन्होंने कहा, "यह हर न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि वह सेवानिवृत्ति के बाद लिए गए अपने निर्णयों पर विचार करे। यदि कोई न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राजनीति में शामिल होता है, तो इससे समाज में यह धारणा बन सकती है कि उनके न्यायिक कार्य में राजनीति का प्रभाव था।"
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश भी नागरिक होते हैं और उन्हें वही अधिकार प्राप्त हैं जो किसी अन्य नागरिक को होते हैं, लेकिन समाज उनसे उच्च स्तर के आचरण की अपेक्षा करता है। चंद्रचूड़ ने यह सुझाव दिया कि न्यायपालिका के भीतर सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए स्वीकार्य और अस्वीकार्य व्यवहार को लेकर एक सामूहिक सहमति होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "इस विषय पर न्यायपालिका में एकमत नहीं है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए क्या उचित है और क्या नहीं। इस पर अभी सहमति बननी बाकी है।"