Hindi Newsदेश न्यूज़Waqf Amendment Bill joint committee of Parliament Opposition members allegations chairperson Jagdambika Pal

'ऐसा रहा तो हम अलग हो जाएंगे', वक्फ बिल को लेकर बनी जेपीसी के चीफ पर क्यों भड़का विपक्ष

  • विपक्षी सदस्यों ने अपने इस पत्र में प्रस्तावित कानून के खिलाफ आपत्तियों समेत अपनी चिंताओं का उल्लेख किया है। विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना था कि वे मंगलवार को बिरला से मिलकर यह पत्र को सौंपेंगे।

Niteesh Kumar भाषाTue, 5 Nov 2024 08:35 AM
share Share

वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने इसके अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एकतरफा फैसले लिए जा रहे हैं और पूरी प्रक्रिया को ध्वस्त करने की तैयारी है। विपक्षी सांसद मंगलवार को इस मामले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात करने वाले हैं। उन्होंने बिरला के नाम पत्र भी लिखा है। इसमें दावा किया गया कि समिति की कार्यवाई में उनको अनसुना किया गया। ऐसे में वे इस समिति से खुद को अलग करने के लिए मजबूर हो सकते हैं।

विपक्षी सदस्यों ने अपने इस पत्र में प्रस्तावित कानून के खिलाफ आपत्तियों समेत अपनी चिंताओं का उल्लेख किया है। विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना था कि वे मंगलवार को बिरला से मिलकर यह पत्र को सौंपेंगे। डीएमके सांसद ए राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी सहित विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष के नाम यह संयुक्त पत्र लिखा है। उन्होंने भाजपा के अनुभवी सांसद पाल पर आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष ने बैठकों की तारीखें तय करने और समिति के समक्ष किसे बुलाया जाए, यह तय करने में एकतरफा निर्णय लिया है।

'3 दिनों की लगातार बैठक बुला रहे'

विपक्ष के सांसदों का कहना है कि वे कभी-कभी समिति की 3 दिनों की लगातार बैठक बुला देते हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों के लिए बिना तैयारी के अपनी बात रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। अपने संयुक्त पत्र में विपक्षी सांसद बिड़ला से आग्रह करेंगे कि वह पाल समिति के सदस्यों के साथ औपचारिक परामर्श करने का निर्देश दें। ताकि, देश को भरोसा दिलाया जा सके कि समिति स्थापित संसदीय प्रक्रियाओं से विचलित हुए बिना, बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम कर रही है।

पत्र में कहा गया, ‘हम विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि हमें समिति से हमेशा के लिए अलग होने के लिए विवश किया जा सकता है क्योंकि हमें अनसुना किया गया है।’ विपक्षी सदस्यों के अनुसार, विधेयक की छानबीन करने वाली संसद की संयुक्त समिति एक ‘मिनी संसद’ की तरह है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून को उचित प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए सरकार की मर्जी के मुताबिक पारित करने के लिए समिति को केवल वेंटिलेटिंग चैंबर के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। उनके अनुसार, समिति के सदस्यों को उचित समय न देना संवैधानिक धर्म और संसद पर क्रूर हमले के अलावा और कुछ नहीं है।

अधिनियम में 100 से अधिक संशोधन का प्रस्ताव

विपक्षी सांसदों ने भी विधेयक के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने दावा किया कि सरकार का कदम 1995 और 2013 के पहले के कानूनों को कम करने का एक प्रयास है। विधेयक में मौजूदा अधिनियम में 100 से अधिक संशोधन का प्रस्ताव है जबकि सरकार का केवल 44 संशोधनों का दावा है। जमात-ए-इस्लामी हिंद समेत कई मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि विधेयक पर अपनी राय रखने के लिए समिति के सामने उपस्थिति हुए।

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने संशोधनों का विरोध किया। मुस्लिम वूमेन इंटेलेक्चुअल फोरम, विश्व शांति परिषद सहित कई अन्य समूहों ने संशोधनों का समर्थन किया। कई मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के लगातार विरोध के कारण समिति की कार्यवाही बाधित हुई है। भाजपा सदस्यों ने उन पर जानबूझकर इसके काम को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। पाल ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी। उनका कहना था कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि हर किसी की बात को सुना जाए।

अगला लेखऐप पर पढ़ें