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CBI को पिंजरे का तोता बताने वाली SC की टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति धनखड़ की आई नसीहत

  • चुनाव आयोग और जांच एजेंसियां मुश्किल हालातों में काम करते हैं। इनके बारे में कोई भी टिप्पणी करना उनके मनोबल को गिराने वाला हो सकता है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी को भी देश के अहम संस्थानों के बारे में टिप्पणी करने को लेकर सचेत रहना चाहिए।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 16 Sep 2024 10:51 AM
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चुनाव आयोग और जांच एजेंसियां मुश्किल हालातों में काम करते हैं। इनके बारे में कोई भी टिप्पणी करना उनके मनोबल को गिराने वाला हो सकता है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी को भी देश के अहम संस्थानों के बारे में टिप्पणी करने को लेकर सचेत रहना चाहिए। ये संस्थाएं कठिन माहौल में कानून के अंतर्गत काम करती हैं। इन संस्थाओं को हर तरह की गड़बड़ियों पर नजर रखनी होती है। उन्होंने रविवार को मुंबई में एक आयोजन के दौरान यह बात कही। उनका यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि रविवार को ही एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर टिप्पणी की थी।

बेंच में शामिल जज ने कहा था कि सीबीआई को किसी भी दबाव से मुक्त होकर काम करना चाहिए। उसे अपनी पिंजरे के तोते वाली छवि से बाहर निकलना चाहिए। अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी। बेंच में शामिल जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा था कि एजेंसी को पिंजरे के तोते वाली छवि से बाहर निकलना चाहिए। इसी टिप्पणी पर बिना किसी का नाम लिए ही उपराष्ट्रपति ने कहा कि संस्थाओं पर टिप्पणी करने से उनका मनोबल गिर सकता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के सभी अंग मिलकर काम करते हैं। उनका एक ही उद्देश्य होता है कि लोगों को उनके सारे अधिकार मिल सकें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी संस्थाओं को लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हुए साथ मिलकर काम करना होता है। इसलिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों को हवा नहीं देनी चाहिए। ऐसी कोई भी टिप्पणी संस्थाओं के मनोबल को कमजोर कर सकती है, जो उनके कामकाज पर विपरीत बात करती हो। उन्होंने संस्थानों का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों की बात कही।

उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को कठिन माहौल और दबाव में काम करना होता है। इसलिए ऐसी कोई भी विपरीत टिप्पणी उनका मनोबल गिराती है। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी टिप्पणियां एक अलग धारणा बनाती हैं। इससे संस्थाों को नुकसान होता है।

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