Hindi Newsदेश न्यूज़Vehicles worth Rs 3 crore will be included in Omar Abdullah convoy opposition creates ruckus

जनता को गुमराह कर रहे; उमर अब्दुल्ला के काफिले में शामिल होंगी 3 करोड़ की गाड़ियां, विपक्ष ने काटा बवाल

  • जम्मू-कश्मीर के सीएम के लिए आवंटित गाड़ियों के लागत को लेकर बलाव मच गया है। विपक्ष ने इसे लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार पर सीधे-सीधे जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 25 Dec 2024 04:45 PM
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जम्मू-कश्मीर सरकार ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आधिकारिक उपयोग के लिए 3.04 करोड़ रुपये की लागत से आठ टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ियों की खरीद को मंजूरी दी है। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये गाड़ियां प्रमुख स्थानों पर तैनात की जाएंगी। उमर अब्दुल्ला के लिए दिल्ली में चार, जम्मू में दो, और श्रीनगर में दो एसयूवी तैनात रहेंगी। जम्मू-कश्मीर के सीएम के लिए आवंटित गाड़ियों के लागत को लेकर बलाव मच गया है। विपक्ष ने इसे लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार पर सीधे-सीधे जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।

इस फैसले पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तीखा कटाक्ष करते हुए लिखा, “200 यूनिट फ्री बिजली, नियमों का उल्लंघन, पीएसआई के लिए उम्र में छूट, लेकिन राजा के काफिले के लिए खरीदारी-वाह।” मट्टू ने सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए इसे जनता के हितों के विपरीत बताया।

सरकारी आदेश में कहा गया है कि इन गाड़ियों की खरीद के लिए निर्धारित धनराशि का इस्तेमाल केवल इसी उद्देश्य के लिए किया जाएगा। सभी खर्च का हिसाब और प्रमाण पत्र 31 मार्च, 2025 तक प्रस्तुत करना अनिवार्य है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि इन गाड़ियों के संचालन के लिए मौजूदा स्टाफ का ही उपयोग किया जाएगा और ड्राइवरों के लिए नए पद पर बहाली की जाएगी।

यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने में कामयाबी हासिल की है। उमर अब्दुल्ला ने खुद दो सीटों- बडगाम और गांदरबल से जीत दर्ज की है। वहीं भाजपा को 29 सीटें मिलीं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस की सहयोगी कांग्रेस केवल छह सीटों तक सिमट गई। अब्दुल्ला सरकार के इस निर्णय ने विपक्ष को सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है। यह देखना दिलचस्प हो गा कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व की सरकार इस मसले पर क्या सफाई पेश करेगी।

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