स्लीपर वंदे भारत पर बड़ा अपडेट, डिजाइन अब तक फाइनल नहीं; रेलवे ने कर दी ये मांग
- स्लीपर ट्रेन की डिजाइन अब तक पूरी तरह से फाइनल नहीं हो सकी है। रेलवे चाहता है कि ट्रेनों में ज्यादा टॉयलेट्स, लगेज जोन और हर ट्रेन में पेंट्री कार हो, ताकि लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
Vande Bharat: भारतीय रेलवे ने पांच साल पहले वंदे भारत ट्रेन लॉन्च की थी, जिसके जरिए यात्रियों को कम समय में उनके गंतव्य तक पहुंचाना लक्ष्य तय किया गया था। अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए वंदे भारत ट्रेनों के स्लीपर वर्जन को लॉन्च किया जाना है। माना जा रहा है कि अगले साल स्लीपर वंदे भारत चलनी शुरू हो सकती है। हालांकि, उससे पहले अब एक झटका लगा है। दरअसल, स्लीपर ट्रेन की डिजाइन अब तक पूरी तरह से फाइनल नहीं हो सकी है। रेलवे चाहता है कि ट्रेनों में ज्यादा टॉयलेट्स, लगेज जोन और हर ट्रेन में पेंट्री कार हो, ताकि लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। 14 महीने पहले पहले स्लीपर कोच के निर्माण को लेकर इंडो-रशियन ज्वाइंट वेंचर (जेवी) के बीच एग्रीमेंट भी हो चुका है।
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, ज्वाइंट वेंचर में प्रमुख शेयरहोल्डर टीएचएच के सीईओ किरिल लीपा ने बताया कि अगर भारतीय रेलवे इस प्रोसेस में देरी करता है तो फिर इसे पूरा किए जाने की टाइमलाइन पर असर पड़ेगा। हम जल्द प्रोडक्शन शुरू करना चाहते हैं। जिसको लेकर विवाद है, उसपर मेरे हिसाब से दो घंटे में ही समाधान निकल सकता है। हम लेटर भेजने और उनका जवाब हासिल करने में ही महीने लगा रहे हैं।'' इस ज्वाइंट वेंचर के 1920 वंदे भारत कोच को बनाए जाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है।
लीपा ने बताया कि मई तक उन्हें उम्मीद थी कि साल के आखिरी तक ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा, लेकिन भारतीय रेलवे ने कोच के डिजाइन को लेकर कई बदलावों की मांग कर दी है। इसके बाद उस पर फिर से काम किया जाएगा। उन्होंने कहा, ''जो बदलाव की मांग की गई है, उसको पूरा करने के लिए समय और अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी।'' अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल के सेकंड क्वार्टर तक प्रोटोटाइप को तैयार कर लिया जाएगा, क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से 2025 के आखिरी तक इसे पूरा करना है।
टीएमएच के प्रवक्ता ने बताया कि पहले हर कोच में तीन टॉयलेट्स की मांग की गई थी, लेकिन अब चार टॉयलेट्स बनाने हैं और हर ट्रेन में एक पेंट्री कार का भी होना अनिवार्य है, जोकि पहले कॉन्ट्रैक्ट में नहीं था। इतना ही नहीं, यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो और उनका लगेज आसानी से रखा जाए, इसके लिए अलग से हर कोच में लगेज जोन की भी मांग की गई है। इस पर रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय रेलवे के जरिए यात्रा करने वाले यात्रियों के भविष्य की जरूरतों को देखते हुए 24 कोचों का भी निर्णय लिया गया है।