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तेजस विमानों के लिए इंजनों की सप्लाई नहीं कर पा रही US की कंपनी, ऐक्शन के मूड में भारत

  • रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस मामले में बार-बार जीई को कहा गया है और कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि अप्रैल, 2025 से इंजनों की आपूर्ति सुचारू हो जाएगी।

Himanshu Jha हिन्दुस्तान टीमSat, 2 Nov 2024 07:17 AM
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तेजस विमानों के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) से इंजनों की आपूर्ति नहीं होने को लेकर भारत सरकार बेहद चिंतित है। जीई की तरफ से अब अप्रैल, 2025 से इंजनों की आपूर्ति को सुचारू करने का भरोसा दिलाया गया है। हालांकि, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट कर दिया कि अगर इस तारीख के बाद भी आपूर्ति शुरू नहीं हुई तो फिर जीई से सीधे तकनीक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपे जाने की मांग की जाएगी। इसके बाद एचएएल में ही फिर इंजनों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी।

सूत्रों के अनुसार एचएएल और जीई के बीच 2021 में समझौता हुआ था, जिसके तहत तेजस विमानों के लिए 99 इंजनों की आपूर्ति जीई को करनी है। इसकी शुरुआत अप्रैल, 2023 से होनी थी और हर साल 16 इंजनों की आपूर्ति भारत को की जानी थी। लेकिन, पिछले डेढ़ साल में महज दो इंजन ही जीई ने दिए हैं, जबकि मार्च 2025 तक 32 इंजन की आपूर्ति करनी है।

सिर्फ इंजन के कारण रुका है निर्माण वहीं रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस देरी के कारण एचएएल तेजस का निर्माण नहीं कर पा रहा है। स्थिति यह है कि दर्जनभर तेजस बनकर तैयार हैं, लेकिन उनमें इंजन फिट करने का काम ही बचा है। बता दें, रक्षा मंत्रालय और एचएएल के बीच 2021 में वायुसेना के लिए 83 तेजस मार्क 1ए विमानों की खरीद को लेकर करार हुआ था। तीन साल बाद यानी मार्च, 2024 से एचएएल को उसे विमानों की आपूर्ति शुरू करनी थी। हर साल 24 विमान वायुसेना को सौंपने का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक एक भी विमान नहीं सौंपा जा सका है। वायुसेना इसे लेकर चिंतित है।

जुर्माने से इनकार

रक्षा सूत्रों के अनुसार, ऐसे मामले में जीई कंपनी पर जुर्माना लगाने का विकल्प सरकार के पास है, लेकिन फिलहाल यह कदम उठाने जाने से सरकार ने इनकार किया है।

कंपनी के दिवालिया होने से हो रहा विलंब

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस मामले में बार-बार जीई को कहा गया है और कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि अप्रैल, 2025 से इंजनों की आपूर्ति सुचारू हो जाएगी। जीई ने कहा कि दक्षिण कोरिया की जो कंपनी उसे पुर्जों की आपूर्ति करती थी, वह दिवालिया हो गई है। इसके चलते विलंब हुआ है।

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