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ओबीसी मंत्रालय जरूरी, जातिगत जनगणना पर क्या बोलीं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल

  • केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कह कि अगर इस बार जनगणना होती है तो जातिगत जनगणना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव के चलते विकास के रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं।

Ankit Ojha हिन्दुस्तानTue, 15 Oct 2024 08:39 AM
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केंद्र सरकार में राज्यमंत्री और अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का कहना है कि जाति जनगणना के साथ ही ओबीसी मंत्रालय का गठन और आउटसोर्सिंग वाली भर्तियों में आरक्षण लागू किए जाने की जरूरत है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने सोमवार को ‘हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में कहा, ‘मुझे लगता है कि देश में आज कमोबेश हर पार्टी यही कह रही है कि जाति जनगणना की जाए। जातिगत भेदभाव के चलते लोगों के विकास का रास्ता अवरुद्ध हुआ है। यह वास्तविकता है, तभी संविधान में आरक्षण का प्रावधान हुआ। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का स्पष्ट मत है कि जनगणना होती है तो जाति जनगणना भी होनी चाहिए। सरकार के पास हर जाति के प्रमाणिक आंकड़े होने चाहिए। सरकार अपने स्तर पर देखे कि कौन सी जाति या समुदाय ऐसा है जिसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, उनको योजनाओं का लाभ नहीं मिला। आजादी का उनके लिए कोई मायने नहीं है। सरकारी योजनाएं इस प्रकार से बनें, जिससे अब तक वंचित रहे लोगों को सबसे ज्यादा लाभ मिले।

अपना दल सिर्फ कुर्मियों की पार्टी नहीं

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ कुर्मियों के मुद्दों को नहीं उठाती है बल्कि एक बड़े वर्ग की बात करती है। यूपी के 18 मंडल हैं, जिनमें 13 मंडल में कुर्मी जाति की अच्छी संख्या है। रामपुर से लेकर बलिया तक, हर जिले में कुर्मी मिलेंगे। लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव आठ फीसदी कुर्मी मतदाता प्रभावी साबित हुए हैं। दूसरे, हमारी पार्टी जिन मसलों को उठाती है वह एक बड़े वर्ग के होते हैं। ‘अगर मैं कहती हूं ओबीसी मंत्रालय बनना चाहिए तो इससे हजारों ओबीसी जातियों को फायदा मिलेगा। अगर मैं कहती हूं कि आउटसोर्सिंग में आरक्षण के नियमों का पालन होना चाहिए। तो एससी, ओबीसी सभी तरह के आरक्षण का पालन होना चाहिए। मेरी पार्टी ने कभी किसी जाति का मुद्दा नहीं उठाया। लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं की दुविधा यह है कि वे जिस जाति से आते हैं उन्हें उस जाति के कठघरे में कैद कर लिया जाता है, क्योंकि उनके बहुत समर्थक होते हैं। उन्होंने कहा कि जब वाजपेयी सरकार थी तो समाज कल्याण मंत्रालय से आदिवासी मंत्रालय बनाया गया था। बाद में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय भी बनाया गया। जब ये मंत्रालय बन सकते हैं तो ओबीसी मंत्रालय क्यों नहीं? क्योंकि ओबीसी आबादी उनसे कहीं ज्यादा है। दल ने एनडीए के मंच पर इस मुद्दे को उठाया है।

सभी घटक विकसित भारत के लिए काम कर रहे

यह पूछने पर कि केंद्र में इस बार घटक दलों की स्थिति मजबूत है, इससे क्या बदलाव दिखाई दे रहा है, उन्होंने कहा कि उन्हें कोई फर्क नहीं दिखता। वह सरकार के पहले, दूसरे कार्यकाल में भी राज्यमंत्री थीं, अब भी हैं। मेरी पार्टी छोटी है, कोई भी विषय होता है तो पहले भी पीएम से कह लेती थी, अब भी। लेकिन इस बार टीडीपी और जदयू जैसे बड़े दल भी हैं, उनका भाजपा के साथ कैसा तालमेल है, यह उनके बीच की बात है। लेकिन एनडीए के सभी घटक विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं।

यूपी में हमारे कुछ मसले हैं जो हल नहीं हुए

क्या उत्तर प्रदेश में भी जहां आप घटक हैं, केंद्र जैसी स्थिति है? इस पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और केंद्र में हमेशा फर्क रहता है। मैंने ज्यादातर प्रधानमंत्री के साथ काम किया है। उनके साथ काम करने का फायदा यह है कि उनसे अपनी बात कह सकते हैं। यूपी में हमारे कुछ मसले हैं जो हल नहीं हुए। जैसे 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला है। वह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। लंबा वक्त लगेगा। हम बार-बार यही कह रहे हैं कि राज्य सरकार कोई हल निकाले। बच्चों को कितना लंबा लटका कर रखेंगे। ऐसा केंद्र में नहीं होता। यहां त्वरित कार्रवाई होती है। यह समस्या वहां है।

पार्टी का लगातार विस्तार हो रहा

यूपी में पार्टी के विस्तार के बारे में उन्होंने कहा कि इसके लिए जमीन पर लगातार प्रयास हो रहे हैं। चार नवंबर को देवरिया में पार्टी का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। 17 अक्तूबर को हर जिले में कार्यक्रम रखे गए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद ही वह लगातार क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं। चुनाव नतीजे देखें तो स्पष्ट है कि पार्टी का विस्तार हुआ है। पूर्वांचल, मध्यांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमांचल हर जगह पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं। यह पूछने पर कि क्या पार्टी कभी अकेले दम पर भी चुनाव लड़ने की सोच सकती है? अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जब दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल का निधन हुआ था तो इस पार्टी को डूबता हुआ जहाज बताया जा रहा था, लेकिन उन्होंने अपने दम पर पहला चुनाव अकेले लड़ा और जीत दर्ज की। अभी एनडीए के साथ हैं। आगे क्या स्थितियां होंगी यह अभी कोई नहीं जानता है।

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