हिंदी थोपने से हरियाणा, बिहार और यूपी की मातृभाषाएं नष्ट हो गईं; केंद्र पर भड़के उदयनिधि स्टालिन
- उदयनिधि स्टालिन ने कहा, 'केंद्र तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की तैयारी कर रहा है। हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हिंदी थोपने के कारण उनकी मातृभाषाएं नष्ट हो गईं।'

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू करने को लेकर इन दिनों बहस गरमाई हुई है। तमिलनाडु सरकार का आरोप है कि केंद्र की ओर से एनईपी को थोपा जा रहा है। तीन-भाषा नीति के मुद्दे पर तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने रविवार को फिर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'केंद्र तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की तैयारी कर रहा है। हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हिंदी थोपने के कारण उनकी मातृभाषाएं नष्ट हो गईं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि अगर हम केवल NEP को स्वीकार कर लें, तो वे हमें फंड देंगे। मगर, अब वे एनईपी को स्वीकार करने के लिए 5000 से 6000 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं। हम पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। अगर आप तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश करेंगे, तो मैं साफ कह रहा हूं कि तमिलनाडु को एक और भाषा युद्ध का सामना करना पड़ेगा।'
उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री वह व्यक्ति हैं, जो चेन्नई में मेट्रो रेलवे परियोजना लेकर आए। उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री ने हाल ही में तीन बातें कही हैं। हम NEP को स्वीकार नहीं करेंगे। हम परिसीमन को स्वीकार नहीं करेंगे। हम हिंदी थोपने को स्वीकार नहीं करेंगे। आज केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश कर रहा है। केंद्र नई शिक्षा नीति के जरिए सीधे हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा है। तमिलनाडु किसी भी तरह से नई शिक्षा नीति और हिंदी थोपने को कभी स्वीकार नहीं करेगा। DMK केंद्र सरकार की धमकियों से नहीं डरेगी। तमिलनाडु में डीएमके की सरकार है, AIADMK की नहीं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हैं, वो पलानिस्वामी नहीं हैं।'
एनईपी राज्यों पर हिंदी नहीं थोपेगी: धर्मेंद्र प्रधान
वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एनईपी राज्यों पर हिंदी नहीं थोपेगी और इस संबंध में तमिलनाडु के विरोध के पीछे राजनीतिक कारण हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने एनईपी-2020 में कभी नहीं कहा कि केवल हिंदी होगी। हमने केवल यह कहा है कि शिक्षा मातृभाषा पर आधारित होगी, तमिलनाडु में यह तमिल होगी।’ शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी एनईपी और तीन भाषा नीति के कार्यान्वयन को लेकर तमिलनाडु सरकार और केंद्र में टकराव के बीच आई है। प्रधान ने कहा, ‘मैं कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का जवाब नहीं देना चाहता। एनईपी-2020 भारत की विभिन्न भाषाओं पर केंद्रित है। चाहे वह हिंदी हो, तमिल हो, उड़िया हो या पंजाबी। सभी भाषाओं का समान महत्व है। तमिलनाडु में कुछ लोग राजनीति के कारण इसका विरोध कर रहे हैं।’