Hindi Newsदेश न्यूज़TMC leaders met Bangladeshi lawyer Ravindra Ghosh, who is fighting the case of Hindu priest Chinmay Krishna Das

बांग्लादेशी वकील रवींद्र घोष से मिले TMC नेता, हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास का लड़ रहे हैं केस

  • रवींद्र घोष ने पीटीआई से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पीएम मोदी से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से वहां के अल्पसंख्यक नेताओं पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न पर ध्यान देने की अपील की है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 1 Jan 2025 09:47 AM
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तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता कुणाल घोष ने मंगलवार को बांग्लादेशी वकील रवींद्र घोष से मुलाकात की जो कि हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास का बचाव कर रहे हैं। घोष ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर में रवींद्र घोष के घर पर उनसे मुलाकात की। आपको बता दें कि रवींद्र घोष बैरकपुर में इलाज करवा रहे हैं। वह 15 दिसंबर को भारत पहुंचे थे। उनके वापस आने पर परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली है। वे सभी बांग्लादेश में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। रवींद्र घोष अपनी पत्नी के साथ बैरकपुर में अपने बेटे राहुल घोष के साथ रह रहे हैं।

टीएमसी के पूर्व राज्यसभा सांसद कुणाल घोष ने बांग्लादेशी वकील से वादा किया कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने का उनका अनुरोध उचित स्तर पर पहुंचाएंगे। पीटीआई के मुताबिक कुणाल घोष ने कहा, "उन्हें अपनी सरकार पर दबाव डालना चाहिए ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का अंत हो सके।" उन्होंने बंगाल बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, "क्या यहां के बीजेपी नेताओं ने दास की रिहाई के लिए केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क किया है?"

रवींद्र घोष ने पीटीआई से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पीएम मोदी से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से वहां के अल्पसंख्यक नेताओं पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न पर ध्यान देने की अपील की है। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह पूर्व की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के द्वारा लिए गए किसी नीति निर्णय को नकारे।"

कौन हैं चिन्मय कृष्ण दास?

चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं। इस महीने के शुरू में उन्हें ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। वह चटगांव में एक रैली में शामिल होने के लिए यात्रा कर रहे थे। उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था और उन्हें जमानत नहीं मिली थी। उन्हें बांग्लादेश की अदालत ने 2 जनवरी तक जेल भेज दिया।

दास बांग्लादेश में हिंदू (सनातनी) समुदाय के अधिकारों के लिए मुखर रूप से आवाज उठा रहे थे। उन्होंने अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून, अल्पसंख्यक उत्पीड़न मामलों के त्वरित न्याय के लिए एक न्यायाधिकरण और एक समर्पित अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना की मांग की थी। उन्होंने अक्टूबर 25 को चटगांव और नवंबर 22 को रंगपुर में बड़ी रैलियां आयोजित की थीं।

गिरफ्तारी क्यों हुई?

चिन्मय कृष्ण दास को अक्टूबर 30 को चटगांव में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह विवाद तब हुआ जब 25 अक्टूबर को ललदीघी मैदान में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के आधिकारिक ध्वज के ऊपर केसरिया ध्वज फहराया गया था। दास को अदालत में पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें हिरासत में भेज दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई थी।

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