Hindi Newsदेश न्यूज़The Supreme Court was shocked to see the pension of some retired hc judges

कुछ रिटायर्ड जजों की पेंशन देखकर चौंका सुप्रीम कोर्ट, बताया दयनीय; कितनी मिल रही थी रकम

  • वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी। पीठ ने कहा, 'बेहतर होगा कि आप उन्हें (सरकार को) समझाएं कि (इस मामले में) हमारे हस्तक्षेप से बचा जाए तो बेहतर है।'

Nisarg Dixit भाषाWed, 18 Dec 2024 02:21 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यह 'दयनीय' है कि उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये पेंशन मिल रही है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा, 'आप हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते। कभी-कभी आपको मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है।'

उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10,000 से 15,000 रुपये के बीच पेंशन मिलने की बात पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, 'यह दयनीय है।' उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन से संबंधित एक याचिका बुधवार को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अनुरोध किया कि इस पर जनवरी में सुनवाई की जाए।

वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी। पीठ ने कहा, 'बेहतर होगा कि आप उन्हें (सरकार को) समझाएं कि (इस मामले में) हमारे हस्तक्षेप से बचा जाए तो बेहतर है।' पीठ ने कहा कि मामले का फैसला व्यक्तिगत मामलों के आधार पर नहीं किया जाएगा और शीर्ष अदालत जो भी आदेश देगी, वह सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर लागू होगा।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तारीख तय की।

पिछले महीने इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 6,000 से 15,000 रुपये के बीच मामूली पेंशन मिल रही है। पीठ उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायाधीश ने कहा था कि उन्हें 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है।

याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए थे। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने कहा था, 'हमारे सामने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है। ऐसा कैसे हो सकता है?'

मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन लाभ की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिला अदालत से पदोन्नत हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पेंशन लाभों की गणना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए।

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