महिलाओं के प्रति अपराध के पीछे की मंशा जमीन हड़पना है; असम CM हिमंता सरमा ने किया दावा
- उन्होंने बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के खिलाफ 1979 से छह साल तक चले आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि असम में यह घटनाक्रम पिछले 30-35 साल से चल रहा है। इसीलिए असम आंदोलन हुआ।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाएं ''जमीन हड़पने और असमिया लोगों की पहचान को खतरे में डालने के बड़े इरादे'' से की जा रही हैं। उन्होंने अपराधों के पीछे 'राजनीतिक संरक्षण' होने की बात कही और साथ ही यह भी दावा किया कि वित्तीय ताकत असमिया लोगों के हाथों से निकलती जा रही है। सरमा ने शनिवार देर शाम एक प्रेस वार्ता में कहा, ''कोई भी समाज पूर्ण नहीं होता। महिलाओं के खिलाफ अपराध एक हकीकत है। पिछले तीन साल में प्रदेश में ये अपराध कम हुए हैं। लेकिन हाल की घटनाओं के पीछे का असली इरादा बहुत बड़ा है, बलात्कार जैसे अपराधों के जरिए हमारी धरती और हमारी सभ्यता को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है।''
उन्होंने बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के खिलाफ 1979 से छह साल तक चले आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा, ''असम में यह घटनाक्रम पिछले 30-35 साल से चल रहा है। इसीलिए असम आंदोलन हुआ। हमने अभी कट्टरपंथियों की पहचान की है, लेकिन 1975 में ही असमिया समाज को आगाह किया गया था कि ऐसा होगा।'' उन्होंने यह दावा करते हुए कहा कि इस तरह के अपराधों के जरिए ''जमीन हड़पने की बड़ी साजिश'' रची जा रही है। सरमा ने कहा, ''ढिंग में पीड़ित परिवार ने मुझसे कहा कि वे अब वहां नहीं रहना चाहते... लोग अपनी संपत्ति बेच देते हैं और अन्य स्थानों पर चले जाते हैं। पांच लाख रुपये की जमीन के लिए उन्हें 50 लाख रुपये की पेशकश की जाती है।''
बृहस्पतिवार शाम नगांव के ढिंग इलाके में तीन लोगों ने 14 साल की एक लड़की से कथित तौर पर बलात्कार किया था। इस घटना के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने एक आरोपी को घटना के अगले दिन गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कथित तौर पर हिरासत से भागने की कोशिश के दौरान तालाब में कूदने से उसकी मौत हो गई। सरमा ने दावा किया कि एक ''तरीका'' है जिसमें पहले, एक या दो व्यक्ति गांव में प्रवेश करते हैं और अपना घर बसाते हैं, फिर वे अपने घरों में मांस खाना शुरू कर देते हैं और पड़ोसी इससे असहज होकर क्षेत्र छोड़ना शुरू कर देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ''यह बारपेटा, मंगलदाई और अन्य स्थानों पर हो रहा है। पिछले मुख्यमंत्रियों ने ये बातें नहीं कही थीं, लेकिन मैंने यह कहा है। किसी दिन मेरी जान को खतरा हो सकता है, लेकिन मैं यह कह रहा हूं क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है।'' उन्होंने किसी समुदाय का नाम लिए बिना कहा, ''यह सब पैसे का खेल है। वित्तीय ताकत असमिया लोगों के हाथों से निकलती जा रही है। वे इसका फायदा उठा रहे हैं।''
सरमा ने दावा किया कि अपराधियों को अदालत में सर्वश्रेष्ठ वकीलों की सेवाएं मिलती हैं क्योंकि ''समुदाय उनके लिए आगे आता है'', लेकिन पीड़ित परिवारों को वित्तीय बाधाओं के कारण इतने अच्छे वकील नहीं मिलते हैं और ''कोई भी हमारे लिए आगे नहीं आता है''। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अब कुछ क्षेत्रों में भूमि की रक्षा के लिए कानून लेकर आई है और उन्होंने कैबिनेट मंत्री पीयूष हजारिका को ढिंग में स्थानीय लोगों के साथ इस बारे में चर्चा करने की जिम्मेदारी दी है कि अनुसूचित जाति समुदाय द्वारा बसाए गए गांव को कैसे ''संरक्षित'' किया जा सकता है।
सरमा ने कहा, ''मुझे लगता है कि अगर राजनीतिक संरक्षण नहीं होगा तो ऐसी घटनाएं कम हो जाएंगी। लेकिन जब राजनीतिक संरक्षण होता है, तो उनके समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट किए जाते हैं, अपराधियों को हिम्मत मिलती है और ऐसी घटनाएं बढ़ती हैं।'' उन्होंने जनता का समर्थन मांगते हुए कहा कि सरकार इन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए ''कड़े फैसले लेगी और उपाय'' करेगी। सरमा ने कहा, ''अगर असमिया समाज एकजुट होगा, तो कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर यह विभाजित हो गया, तो यह कमजोर हो जाएगा। ढिंग घटना केवल बलात्कार के बारे में नहीं है, असमिया लोगों को आतंकित किया जा रहा है ताकि वे अपनी जमीन छोड़ दें।''