Hindi Newsदेश न्यूज़Swami Shivanand Participating in every Kumbh Since 100 years was born in 1896 gave a message to Youth

128 साल की उम्र, पिछले 100 साल से हर कुंभ में शामिल हो रहे स्वामी शिवानंद; युवाओं को दिया मैसेज

  • बाबा के शुरुआती जीवन के बारे में पूछने पर बेंगलुरु से उनके शिष्य फाल्गुन भट्टाचार्य बहुत भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि बाबा का जन्म एक भिखारी परिवार में हुआ था।

Madan Tiwari पीटीआई, महाकुभंनगरSat, 18 Jan 2025 06:07 PM
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पद्मश्री से सम्मानित योग साधक स्वामी शिवानंद बाबा पिछले 100 साल से हर कुंभ (प्रयागराज, नासिक, उज्जैन, हरिद्वार) में शामिल हो रहे हैं। यह जानकारी उनके शिष्य संजय सर्वजाना ने दी। सेक्टर 16 में संगम लोअर मार्ग पर स्थित बाबा के शिविर के बाहर लगे बैनर में छपे उनके आधार कार्ड में उनकी जन्मतिथि आठ अगस्त, 1896 दर्ज है। इस तरह उनकी उम्र 128 साल है। हर रोज की तरह बृहस्पतिवार को सुबह वह अपने कक्ष में योग ध्यान में लीन थे और उनके शिष्य बाबा के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे।

बाबा शिवानंद ने युवा पीढ़ी को दिए अपने मैसेज में कहा कि युवाओं को सुबह जल्दी उठकर आधा घंटा योग करना चाहिए, संतुलित जीवनशैली अपनानी चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन टहलना चाहिए।

बाबा के शुरुआती जीवन के बारे में पूछने पर बेंगलुरु से उनके शिष्य फाल्गुन भट्टाचार्य बहुत भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि बाबा का जन्म एक भिखारी परिवार में हुआ था। चार साल की उम्र में इनके मां बाप ने इन्हें गांव में आए संत ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया ताकि इन्हें खाना पीना तो मिल सके।

उन्होंने बताया कि छह साल की उम्र में बाबा को संत ने घर जाकर अपने मां-बाप के दर्शन करने को कहा। लेकिन घर पहुंचने पर त्रासदीपूर्ण घटनाएं हुईं। घर पहुंचने पर बहन का देहांत हो गया और एक सप्ताह के भीतर एक ही दिन मां बाप दोनों चल बसे। भट्टाचार्य ने बताया, ''बाबा ने एक ही चिता में मां-बाप का दाह संस्कार किया। उसके बाद से संत ने ही इनका पालन पोषण किया।''

भट्टाचार्य ने बताया, ''बाबा ने चार साल की उम्र तक दूध, फल, रोटी नहीं देखा। इसी के चलते उनकी जीवनशैली ऐसी बन गयी कि वह आधा पेट ही भोजन करते हैं। बाबा रात नौ बजे तक सो जाते हैं और सुबह तीन बजे उठते हैं और शौच आदि से निवृत्त होकर योग ध्यान करते हैं। वह दिन में बिल्कुल भी नहीं सोते।''

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दिल्ली से आए हीरामन बिस्वास ने बताया कि वह बाबा के संपर्क में 2010 में चंडीगढ़ में आए थे। वह उनकी फिटनेस से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि बाबा किसी से दान नहीं लेते, उबला हुआ खाना खाते हैं जिसमें तेल और नमक नहीं होता। बाबा वाराणसी के कबीर नगर, दुर्गाकुंड में रहते हैं और मेले में प्रवास पूरा कर वापस बनारस चले जाएंगे।

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