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जारी रहेगा बुलडोजर ऐक्शन या लगेगा ब्रेक? आज आएगा सुप्रीम फैसला; SC ने अब तक क्या-क्या कहा

  • याचिका में यह भी मांग की गई है कि ध्वस्तीकरण अभियान को पूरी तरह से कानून के तहत और पारदर्शी तरीके से किया जाए। जिन अधिकारियों ने पहले ऐसे अभियान चलाए हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 13 Nov 2024 09:02 AM
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सुप्रीम कोर्ट आज 'बुलडोजर जस्टिस' पर अपना फैसला सुनाएगा। देश की सर्वोच्च अदालत में दायर याचिकाओं में आरोपियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के रूप में अधिकारियों द्वारा की जा रही बुलडोजर कार्रवाई को रोकने की मांग की गई है। कोर्ट का आज का फैसला पूरे देश में लागू होगा। फैसले में अवैध रूप से घरों और अन्य संपत्तियों को तोड़ गिराने के लिए दिशा-निर्देश दिए जा सकते हैं।

इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने बीते एक अक्टूबर को अंतरिम आदेश जारी किया था। अधिकारियों को आदेश दिया गया था कि वे तब तक इस ऐक्शन को रोके रहे, जब तक कोर्ट से आगे का आदेश न मिल जाए। हालांकि, यह आदेश अवैध धार्मिक संरचनाओं, सड़क और फुटपाथों पर बने मंदिर, दरगाह और गुरुद्वारों पर लागू नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। कोई भी धार्मिक संरचना सड़क के बीच में खड़ी नहीं हो सकती है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी पर अपराध का आरोप लगने या दोषी ठहराए जाने के कारण अधिकारियों को घरों और दुकानों पर बुलडोजर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं मिल सकता है। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था, "हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। जो भी हम तय करते हैं, वह सभी नागरिकों के लिए होता है। किसी विशेष धर्म के लिए विशेष कानून नहीं हो सकता।"

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नगरपालिका निगमों और नगर पंचायतों के लिए अलग-अलग कानून हैं और उनका मुख्य ध्यान इन कानूनों के दुरुपयोग को रोकना है। पैन-इंडिया दिशा-निर्देशों पर विचार करते हुए कोर्ट ने लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने का सुझाव भी दिया है।

सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिनमें देशभर में बढ़ती हुई बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ चिंता जताई गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ऐसी कार्रवाइयां राज्य सरकार द्वारा अवैध दंड के रूप में इस्तेमाल हो रही हैं। हाशिए पर रहने वाले समुदायों को लगातार शिकार बनाया जा रहा है।

याचिका में यह भी मांग की गई है कि ध्वस्तीकरण अभियान को पूरी तरह से कानून के तहत और पारदर्शी तरीके से किया जाए। जिन अधिकारियों ने पहले ऐसे अभियान चलाए हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।

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