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ना खाता हूं ना खाने देता हूं; सुप्रीम कोर्ट में बहस के बीच जब लगे ठहाके

  • सेंथिल बालाजी को पिछले साल 14 जून को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन पर अन्ना द्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहने के दौरान नौकरी के बदले नकदी घोटाले से जुड़े धन शोधन का आरोप है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानMon, 12 Aug 2024 04:22 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सोमवार को सुरक्षित रख लिया। डीएमके नेता को पिछले साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने आज इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बालाजी की तरफ से सीनियर वकील मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने दलीलें रखीं। मामले की सुनवाई के दौरान मेहता ने डीएमके लीडर को जमानत देने का विरोध किया और कहा कि मुकदमे में देरी के लिए पूर्व मंत्री जिम्मेदार हैं। इसी बीच, 'ना खाता हूं ना खाने देता हूं' का भी जिक्र हुआ और जमकर ठहाके लगे।

एसजी मेहता ने हल्के अंदाज में कहा कि अगर मेरे लॉर्डशिप छूट दें तो कुछ कहूं। दरअसल, आपकी ओर से कहा गया कि 'मैं न खाता हूं, न खाने देता हूं'। मतलब यह है कि आज लंच के लिए न तो आपके लॉर्डशिप उठे और न ही हम उठे। हम लोग सुनवाई ही करते रहे। वहीं, डीएमके लीडर के मामले पर पक्ष रखते हुए जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि विधेय अपराध का मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। इस पर सीनियर वकील रोहतगी की ओर कहा गया, 'मैं (सेंथिल बालाजी) अब मंत्री नहीं हूं। तब आरोप लगा कि मैं प्रभावशाली हूं, मगर अब मेरे पास कोई विभाग नहीं है। अभी एक सर्जरी भी हुई है।' इसे लेकर ओका ने सवाल किया कि क्या इस्तीफा देने के बाद मंत्री प्रभावशाली नहीं रह जाता है? इस तरह मामले को लेकर अच्छी बहस देखने को मिली।

सेंथिल बालाजी को पिछले साल ईडी ने किया गिरफ्तार

बता दें कि सेंथिल बालाजी को पिछले साल 14 जून को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन पर अन्ना द्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहने के दौरान नौकरी के बदले नकदी घोटाले से जुड़े धन शोधन का आरोप है। ईडी ने पिछले साल 12 अगस्त को बालाजी के खिलाफ 3,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था। हाई कोर्ट ने 19 अक्टूबर को बालाजी की पहले की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। एक स्थानीय अदालत भी उनकी जमानत याचिकाएं तीन बार खारिज कर चुकी है।

हाई कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें इस तरह के मामले में जमानत पर रिहा किया गया तो इससे गलत संदेश जाएगा। यह वृहद जनहित के खिलाफ होगा। उसने कहा था कि याचिकाकर्ता को 8 महीने से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा है। इसलिए, विशेष अदालत को समय सीमा के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश देना अधिक उचित होगा। इस तरह, बालाजी की दूसरी जमानत याचिका खारिज करने के मद्रास उच्च न्यायालय के 28 फरवरी के आदेश को चुनौती दी गई है।

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