शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे पर जारी रहेगी रोक, SC ने नवंबर तक बढ़ाई तारीख
- हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पीठ से सर्वे पर रोक हटाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आग्रह किया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाने वाले अपने पिछले आदेश को नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक बहस की आवश्यकता है। इस महीने की शुरुआत में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी संबंधित आदेश को भी ध्यान में रखना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हाईकोर्ट के एक अगस्त के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 18 मुकदमों में सुनवाई जारी रह सकती है। मस्जिद प्रबंधन समिति की चुनौती को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने अब मुकदमे की सुनवाई शुरू करने के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की है।
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पीठ से सर्वे पर रोक हटाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आग्रह किया। हाईकोर्ट के 1 अगस्त के आदेश का हवाला देते हुए जैन ने जोर देकर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मुस्लिम पक्ष की याचिका निष्प्रभावी हो गई है। हालांकि पीठ ने जवाब दिया कि मामले की सुनवाई नवंबर में ही होगी।
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के 26 मई के आदेश को चुनौती देने के मामले में उलझा हुआ है। मथुरा में विभिन्न सिविल न्यायालयों में हिंदू पक्षों द्वारा मस्जिद की भूमि पर अधिकार का दावा करते हुए दायर किए गए लगभग 18 मुकदमों को उसने अपने पास ट्रांसफर कर लिया था। ईदगाह समिति और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लाया।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी को मस्जिद सर्वेक्षण की निगरानी के लिए अधिवक्ता-आयुक्त की नियुक्ति के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
हाईकोर्ट का आदेश भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव खेवट मथुरा (देवता) द्वारा नेक्स्ट फ्रेंड रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य के माध्यम से दायर याचिका पर आया था। नेक्स्ट फ्रेंड किसी ऐसे व्यक्ति का कानूनी प्रतिनिधि होता है जो सीधे मुकदमा चलाने में असमर्थ होता है। हिंदू याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि मूल मुकदमा उच्च न्यायालय द्वारा चलाया जाए क्योंकि मामला राष्ट्रीय महत्व का था।
दूसरी ओर मस्जिद प्रबंधन समिति ने लंबे विलंब के बाद मुकदमों की स्थिरता पर सवाल उठाया और आगे तर्क दिया कि यह मुकदमा पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित है। मस्जिद प्रबंधन समिति ने मुकदमों की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक अलग याचिका भी दायर की थी। हालांकि 1 अगस्त को एक आदेश द्वारा उच्च न्यायालय ने माना कि मुकदमे स्थिरता योग्य थे और मुद्दों को तय करने के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की।
कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद भूमि विवाद से संबंधित कई मुकदमे मथुरा की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। इनमें मस्जिद के 13.37 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त करने की मांग भी शामिल है। मस्जिद मंदिर से सटी हुई है और मुकदमों में मस्जिद समिति और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के बीच 1968 में हुए समझौते को वापस लेने की मांग की गई है। 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता-आयुक्त द्वारा सर्वेक्षण का आदेश दिया।
पिछले साल सितंबर में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी स्थल के धार्मिक चरित्र को भी साक्ष्य द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।