इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने-भुनाने को लेकर क्या थे दिशानिर्देश? SBI का जवाब देने से इनकार
स्टेट बैंक ऑफ इंडिय़ा द्वारा दिए गए जवाब में बैंक ने कहा है कि एसओपी आंतरिक दिशानिर्देश थे और उनसे संबंधित जानकारी को आरटीआई कानून की धारा 8(1)(डी) के तहत जारी करने से छूट दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाए जाने के कुछ सप्ताह बाद, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े अपने दिशानिर्देशों का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया है। दरअसल सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत एक याचिका दायर की गई थी। इसमें SBI से उन दिशानिर्देशों के बारे में जानकारी मांगी गई थी जो उसने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने और भुनाने को लेकर अपनी शाखाओं को जारी किए थे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने याचिका दायर की थी। इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के लिए बैंक द्वारा निर्धारित एसओपी के बारे में जानकारी मांगी गई थी। एसबीआई के डिप्टी जनरल मैनेजर एम कन्ना बाबू द्वारा दिए गए जवाब में बैंक ने कहा है कि एसओपी आंतरिक दिशानिर्देश थे और उनसे संबंधित जानकारी को आरटीआई कानून की धारा 8(1)(डी) के तहत जारी करने से छूट दी गई है। याचिकाकर्ता ने एक बयान में कहा है कि बैंक द्वारा जानकारी देने से इनकार करने के फैसले को अपील में चुनौती दी जाएगी।
चुनाव आयोग के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरण साझा करने में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई को फटकार लगाने के कुछ हफ्ते बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। फरवरी में चुनावी बांड योजना को रद्द करने वाले ऐतिहासिक फैसले के बाद, बैंक ने डेटा साझा करने के लिए तीन महीने का समय मांगा था। हालांकि, अदालत ने उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और उससे दो दिनों के भीतर डेटा सार्वजनिक करने को कहा। अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उसने जल्द से जल्द डेटा का खुलासा नहीं किया तो वह बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी।
बैंक द्वारा डेटा शेयर करने के तुरंत बाद, उसे अदालत से एक और फटकार का सामना करना पड़ा था। अदालत ने पूछा कि बैंक ने बांड संख्या का खुलासा क्यों नहीं किया। इसके बाद, बैंक ने अन्य डिटेल शेयर की और एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसने पोल बांड योजना से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा कर दिया है।