पद मिलने पर भी क्यों कांग्रेस पार्टी से नाराज हुए गुलाम नबी आजाद, अब सामने आई यह बातl
गुलाम नबी आजाद को जम्मू-कश्मीर में प्रचार समिति का मुखिया बनाया गया था और उन्होंने कुछ घंटों में ही इस्तीफा दे दिया। यही नहीं उन्होंने राज्य की राजनीतिक मामलों की समिति से भी इस्तीफा दे दिया है।
जम्मू कश्मीर में अगले साल तक विधानसभा चुनाव होने की अटकलें हैं और उससे पहले कांग्रेस में लगातार घमासान मचा हुआ है। मंगलवार को प्रदेश के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद को जम्मू-कश्मीर में प्रचार समिति का मुखिया बनाया गया था और उन्होंने कुछ घंटों में ही इस्तीफा दे दिया। यही नहीं उन्होंने राज्य की राजनीतिक मामलों की समिति से भी इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गुलाम नबी आजाद ने अपनी इस नियुक्ति को डिमोशन के तौर पर देखा था। इसकी वजह यह है कि वह पहले ही अखिल भारतीय राजनीतिक समिति के सदस्य हैं। इसके अलावा वह पूर्व सीएम भी हैं और केंद्रीय मंत्री समेत कई अहम पदों पर रह चुके हैं। गुलाम नबी आजाद के अलावा उनके कई समर्थकों ने भी इस्तीफे दे दिए हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद ने अपनी नियुक्ति को जिम्मेदारी मिलने से ज्यादा डिमोशन के तौर पर देखा था। गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल रहे हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को दो साल पहले पत्र लिखा था और संगठन में बड़े बदलावों की मांग की थी। गुलाम नबी ने ऐसे मौके पर कांग्रेस को झटका दिया है, जब पार्टी जम्मू कश्मीर में अपने संगठन को दोबारा खड़ा करने में जुटी है। पिछले महीने ही जम्मू कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह पर विकार रसूल वानी को यह जिम्मा दिया गया है।
इसके साथ ही सोनिया गांधी ने जम्मू कश्मीर में पार्टी की कैंपेन कमिटी, पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी, कॉर्डिनेशन कमिटी, घोषणापत्र समिति और प्रचार समिति का गठन कर दिया है। फिलहाल जम्मू कश्मीर में परिसीमन का काम पूरा हो गया है और उसके बाद निर्वाचक नामावली तैयार की जा रही है। वोटर लिस्ट तैयार किए जाने के बाद चुनाव की तैयारियां शुरू की जाएंगी। कहा जा रहा है कि इस साल चुनाव होना मुश्किल है, लेकिन अगले साल के शुरुआती महीनों में चुनाव हो सकते हैं। चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट के प्रकाशन की आखिरी तारीख 25 नवंबर तय की गई है।