गुजरात का गम, MCD से होगा कम; EXIT Poll से गदगद क्यों हैं केजरीवाल
केजरीवाल EXIT POLLS से गदगद दिखाई दे रहे। उन्होंने दिल्ली के लोगों को बधाई दी। दरअसल, एग्जिट पोल नतीजों में बदलते हैं तो यह AAP और केजरीवाल के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा। जानिए कैसे

Exit Poll 2022: गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली नगर निगम (MCD) में हुए मतदान के बाद एग्जिट पोल्स सामने आ गए हैं। गुजरात में बीजेपी की रिकॉर्डतोड़ जीत का अनुमान है, जबकि एमसीडी में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बीजेपी को सत्ता से बाहर करके बड़ी जीत दर्ज कर सकती है। हिमाचल प्रदेश में मामला कांग्रेस और बीजेपी के बीच फंसा हुआ है। इन एग्जिट पोल्स पर तमाम नेताओं के बयान आ रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इन एग्जिट पोल्स से गदगद दिखाई दे रहे। उन्होंने कहा, ''मैं दिल्ली के लोगों को बधाई देता हूं। मैं कल एग्जिट पोल के नतीजे देख रहा था। इसमें आम आदमी पार्टी के काफी अच्छे नतीजे आए हैं।'' केजरीवाल के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि एक दिन पहले तक ही जब केजरीवाल गुजरात में अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे थे, तो ऐसा क्या हुआ कि महज कुछ ही सीटें मिलने के अनुमान से वे खुश हो गए। दरअसल, राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि एग्जिट पोल ही नतीजों में भी बदलते हैं, तो यह अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के लिए किसी बड़ी 'जीत' से कम नहीं होगा और उनका गुजरात में नहीं जीतने का गम, एमसीडी में प्रचंड जीत से कम हो जाएगा। मालूम हो कि दिल्ली नगर निगम के एग्जिट पोल में पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने का अनुमान है, जबकि गुजरात में 15-20 फीसदी तक वोट पार्टी हासिल कर सकती है।
पंजाब वाले रास्ते पर गुजरात में केजरीवाल
यदि एग्जिट पोल्स गुजरात में नतीजों में तब्दील होते हैं तो आम आदमी पार्टी बिल्कुल पंजाब वाली स्टाइल में गुजरात में प्रवेश करती हुई दिखाई देगी। पंजाब में साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य में एंट्री की थी। तब पार्टी ने सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 20 सीटें जीती थीं। पार्टी पंजाब में पहली बार चुनाव में उतरी थी और मुख्य विपक्षी दल बन गई थी। इसके बाद साल 2022 में हुए पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 92 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाई। चुनावी एक्सपर्ट्स यही यही ट्रेंड गुजरात में भी देख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि 15-20 प्रतिशत वोटबैंक बनाने में AAP कामयाब हो जाती है तो फिर उसके विधायक आने वाले पांच सालों तक विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाएंगे। इसके अलावा, इन विधायकों की सीधे जनता तक पहुंच होगी, जिसका फायदा अगले 2027 के गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिल सकेगा। पार्टी 2022 से 2027 तक गुजरात में अपने कार्यकर्ताओं में विस्तार कर सकेगी।
MCD में जीत से केजरीवाल को कई फायदे
दिल्ली में तीन बार सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी नगर निगम में पिछले चुनाव में बीजेपी से हार गई थी। बीजेपी को साल 2017 के एमसीडी चुनाव में 181 सीटें मिली थीं, जबकि आम आदमी पार्टी को 49 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। दिल्ली में नगर निगम हमेशा ही सुर्खियों में रहता है। कभी एमसीडी के कर्मचारियों को सैलरी नहीं दिए जाने के आरोप लगते हैं, तो कभी कूड़ों के पहाड़ों की वजह से चर्चा होती रहती है। एमसीडी में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने इस बार चुनाव प्रचार के लिए अपने लगभग सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया था। उत्तराखंड समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कई केंद्रीय मंत्रियों ने रोड शो और घर-घर जाकर प्रचार किया। वहीं, तारीखों को भी गुजरात चुनाव की तारीख के आसपास ही रखा गया। इसकी वजह से सवाल उठने लगे कि संसाधनों की कमी की वजह से आम आदमी पार्टी का ध्यान गुजरात और दिल्ली के बीच बंट सकता है, जिसका असर दोनों ही जगह होगा। हालांकि, अब यदि एग्जिट पोल्स को ही नतीजों में बदलता देखें तो पार्टी गुजरात में अच्छे खासे वोट हासिल कर रही है, जबकि एमसीडी में जीत दर्ज करेगी। एमसीडी में यदि आप को जीत मिलती है तो केजरीवाल अपनी नीतियों को वहां भी पर लागू कर सकेंगे और जिस तरह से चाहेंगे, वैसे जनता की मदद कर सकेंगे।
सिर्फ दस सालों में ही पार्टी ने गाड़े कई झंडे
देशभर में कई पार्टियां हैं, लेकिन अन्ना आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी अब तक अलग अंदाज में दिखाई दी। सिर्फ दस सालों में ही पार्टी ने कई झंडे गाड़े हैं। दिल्ली में साल 2013 में 49 दिनों की सरकार बनाने के बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की तो फिर साल 2020 में तीसरी बार दिल्ली में सरकार बनाई। इस दौरान, बीजेपी को काफी पीछे धकेल दिया, जबकि कांग्रेस को दिल्ली से लगभग खत्म ही कर दिया। वहीं, पंजाब में पार्टी ने सरकार बना ली। यदि दिल्ली नगर निगम और गुजरात में भी पार्टी के हक में ठीक नतीजे आते हैं, तो फिर केजरीवाल के लिए आने वाले समय में अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार करना और आसान हो जाएगा। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा की उन क्षेत्रियों दल से भी काफी बेहतर मानी जाएगी, जो सिर्फ एक ही राज्य तक सिमट कर रह गए। यही वजहें हैं कि खुद केजरीवाल भी एग्जिट पोल्स से काफी खुश नजर आ रहे हैं।
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