जीतकर भी मोदी सरकार 'आउट' होने वालों पर कयास तेज, अनुराग ठाकुर समेत ये नेता शामिल
नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में अनुराग ठाकुर, नारायण राणे जैसे नेताओं को मंत्री के तौर पर जगह नहीं मिली है। दोनों नेता अपनी सीटें जीते भी हैं, फिर भी बाहर किए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 का दौर शुरू हो चुका है। रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे मंत्री परिषद के साथ पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इस मंत्री परिषद में उनके समेत कुल 72 मेंबर हैं, लेकिन पिछली सरकार का हिस्सा रहे तमाम मंत्री बाहर हैं। इनमें से 19 मंत्री तो ऐसे हैं, जो चुनाव में हार गए। इसके अलावा 8 लोगों को टिकट ही नहीं मिला था। इस तरह कुल 27 मंत्री टिकट न मिलने या फिर चुनावी हार के चलते सत्ता से बाहर हो गए। लेकिन ऐसे नेता जो चुनाव भी जीते, लेकिन मंत्री परिषद का हिस्सा नहीं बने हैं, उनको लेकर चर्चाओं और कयासों का दौर तेज है।
इन नेताओं में अनुराग ठाकुर, नारायण राणे, पुरुषोत्तम रुपाला, अजय भट्ट, फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं। अनुराग सिंह ठाकुर तो नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में सरकार के चेहरे के तौर पर सामने आते थे। वह सूचना प्रसारण मंत्री थे और अकसर कैबिनेट के फैसलों की जानकारी हो या फिर अहम मामलों में सरकार के बचाव की बात हो। वह सरकार का पक्ष रखा करते थे। इस बार भी वह लगातार 5वीं बार हिमाचल की हमीरपुर लोकसभा सीट से जीते हैं, लेकिन सरकार से बाहर रखे गए हैं। वहीं पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा अब स्वास्थ्य मंत्री बन गए हैं।
जेपी नड्डा भले ही हिमाचली हैं, लेकिन वह गुजरात से राज्यसभा के सांसद हैं। फिर भी हिमाचल में उनका दखल रहता है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अनुराग को बाहर रखने की एक वजह यह भी है कि कांग्रेस छोड़कर आने वाले विधायकों को उपचुनाव में हार मिली है। उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर आए 6 में से विधायकों को हार मिली है। इससे सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार से खतरा टल गया है। कांग्रेस को सुजानपुर, गगरेट, लाहौर एवं स्पीति और कुटलेहड़ सीट पर जीत मिली है। सुजानपुर सीट हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में आती है। इसके साथ ही हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस की संख्या बढ़कर 38 पहुंच गई है। फिलहाल हिमाचल विधानसभा के सदस्यों की संख्या 65 है और उसमें 38 सदस्य लाकर कांग्रेस मजबूत हो गई है।
नारायण राणे बाहर, पुरुषोत्तम रुपाला को मिली राजपूत विवाद की सजा?
नारायण राणे की बात करें तो वह महाराष्ट्र की रत्नागिरी सीट से जीते हैं, लेकिन उन्हें बाहर ही रखा गया है। महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव होने वाले हैं। फिर भी राणे को मौका न देने पर सवाल उठ रहे हैं। अब पुरुषोत्तम रुपाला की बात करें तो उन्हें जगह न देने की एक वजह राजपूतों का गुस्सा भी माना जा रहा है। उनके एक बयान से राजस्थान, यूपी, हरियाणा समेत कई राज्यों में राजपूत नाराज थे। राजपूत संगठन उनका टिकट काटने की मांग कर रहे थे। पार्टी ने रुपाला का टिकट तो नहीं काटा, लेकिन मंत्री न बनाकर एक संदेश देने की कोशिश जरूर की है। यही नहीं पीएम मोदी ने रुपाला की सीट राजकोट में अपनी एक रैली तक टाल दी थी ताकि विवाद न बढ़े।