कुली के रूप में काम करने वाले कृष्णैया बने थे DM, जिनकी हत्या के दोषी हैं आनंद मोहन सिंह
डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे। सियासी हलकों में इसको लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है। इसके साथ ही एक बार फिर से जी कृष्णैया का नाम चर्चा में आ गया है।

डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे। सियासी हलकों में इसको लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है। इसके साथ ही एक बार फिर से जी कृष्णैया का नाम चर्चा में आ गया है। वह शख्स, जिसने अपनी मेहनत के दम पर अपना मुकद्दर बदल दिया था। एक दलित परिवार में जन्म, पिता के पास खेत का एक अदद टुकड़ा तक नहीं, लेकिन अपने जुनून के दम पर जी कृष्णैया ने सफलता एक नई इबारत लिखी थी। आइए आज आपको रूबरू कराते हैं 1994 में तत्कालीन गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से।
ऐसे मिला संघर्ष को मुकाम
जी कृष्णैया की हत्या सिर्फ एक प्रशासनिक अफसर की हत्या नहीं थी। यह संघर्ष से भरी एक प्रेरणादायक कहानी का दुखद अंत था। आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के महबूबनगर के एक गरीब दलित परिवार में कृष्णैया का जन्म हुआ था। पिता कुली का काम करते थे और बड़े होने के बाद कृष्णैया ने भी पहला काम यही किया। इसके बाद उन्होंन पत्रकारिता की पढ़ाई की और क्लर्क के रूप में भी काम किया। अपनी पढ़ाई के दम पर उन्होंने खुद को लगातार आगे बढ़ाया और कुछ दिनों तक बतौर लेक्चरर पढ़ाया भी। इसके बाद आया वह क्षण, जब उनके संघर्ष को एक नया मुकाम मिला। साल 1985 में जी कृष्णैया ने आईएएस का एग्जाम पास किया और डीएम बन गए।
बिहार में पोस्टिंग और पॉपुलैरिटी
बिहार में पोस्टिंग के बाद कृष्णैया ने जहां भी काम किया, गरीबों के बीच खासे पॉपुलर रहे। वह हर दिन बड़ी संख्या में लोगों से मिलते थे और उनकी बातें सुनते थे। यहां पर उनकी पहली पोस्टिंग पश्चिमी चंपारण में हुई थी, जो डकैतों और अपहरणकर्ताओं का स्वर्ग माना जाता था। इसके बावजूद, वह पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करते थे। इंडिया टुडे के मुताबिक उस दौरान के उनके सहकर्मी कृष्णैया को भविष्य को लेकर सकारात्मक सोच रखने वाले शख्स के रूप में याद करते हैं। उनकी पॉपुलैरिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनकी हत्या की खबर बेतिया पहुंची तो छात्र, टीचर्स, वकील और पत्रकारों समेत आम लोग भी शोकग्रस्त हो उठे थे।
नहीं भूले थे अपना गांव
बेहद अहम बात यह है कि जीवन में तमाम बड़ी सफलताएं हासिल करने के बावजूद जी कृष्णैया अपने गृह जनपद को बिल्कुल भी नहीं भूले थे। उन्होंने अपने गांव में ओवरब्रिज बनाने को लेकर महबूबनगर के कलेक्टर से मुलाकात की थी। यह भी दिलचस्प बात है कि वह लालू के गृह जनपद गोपालगंज के डीएम थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी तनाव नहीं लिया। हालांकि वह अपने परिवार से लालू यादव के समर्थकों और परिवार के दबाव की चर्चा जरूर किया करते थे। शायद यही वजह थी कि उनकी हत्या के बाद जब लालू यादव उनके घर पहुंचे तो उनकी पत्नी ने लालू के सामने हाथ जोड़कर उनके परिवार को अकेले छोड़ देने की गुहार लगाई थी।
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