मुलायम की सरकार बचाई, पर नेताजी मुख्तार अंसारी को नहीं बचा पाए; आडवाणी के चलते बढ़ा था दबाव
2003 में जब मुलायम सिंह यादव को विधानसभा में अपनी सरकार का विश्वासमत साबित करना पड़ा तो मुख्तार अंसारी ने निर्दलीय विधायकों के साथ उनका समर्थन किया था। लेकिन वह मुख्तार पर दबाव में आ गए थे।
यूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत के बाद अपराध के साथ ही राजनीति के भी एक दौर का समापन हो गया है तो वहीं कुछ पुराने किस्से भी फिर चर्चा में हैं। मुख्तार अंसारी अपराध के साथ ही राजनीति में भी मजबूत हैसियत बना चुका था। उसकी ताकत यहां तक थी कि 2003 में जब मुलायम सिंह यादव को विधानसभा में अपनी सरकार का विश्वासमत साबित करना पड़ा तो मुख्तार अंसारी ने निर्दलीय विधायकों के साथ उनका समर्थन किया था। इस तरह मुलायम सिंह यादव ने सरकार बचा ली थी। यही वजह थी कि मुलायम सिंह यादव से उनकी निकटता बन गई थी। माना जाता था कि सपा सरकार में मुख्तार को थोड़ा संरक्षण रहता है।
मुख्तार को बचाना चाहती थी मुलायम सिंह की सरकार; पूर्व DSP का बड़ा दावा
मुख्तार अंसारी उस दौर में बेहद मजबूत था। गाजीपुर से लेकर मऊ और काशी तक में लोग उसका खौफ मानते थे। लेकिन दो घटनाओं ने मुख्तार अंसारी के ताबूत में 19 साल पहले ही कील ठोक दी थी। मऊ में 2005 में वह खुली जीप में घूमा था और दंगा करा दिया था। इस घटना में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इस पर मुख्तार अंसारी बुरी तरह से घिर गया था। इसके बाद उसे जेल में डाल दिया गया। फिर भी माना जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव सरकार में वह वापसी कर सकता है, लेकिन इसी बीच उसने कृष्णानंद राय की हत्या करा दी।
जब आडवाणी भी कृष्णानंद राय की हत्या पर काशी आए
कृष्णानंद राय की हत्या से पूरे यूपी में तनाव पैदा हो गया। भाजपा के नेता की इस तरह हत्या ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक को सकते में ला दिया। राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, कलराज मिश्र जैसे नेता आंदोलन कर रहे थे। इसी बीच खुद लालकृष्ण आडवाणी ने वाराणसी में पदयात्रा में शामिल होने का फैसला लिया, जिसके चलते मुलायम सिंह यादव दबाव में आ गए। कहा जाता है कि इस वाकये से राज्य में पोलराइजेशन का भी खतरा था। पहले मऊ दंगा और फिर कृष्णानंद की राय सरेआम 500 गोलियां मारकर हत्या करने से मुख्तार अंसारी का साथ देना मुश्किल हो गया था।
मुलायम खुद बोले- किसी को बचाने की कोशिश नहीं
उस दौर में मायावती की सरकार को हटाकर मुलायम सिंह यादव सत्ता में आए थे। ऐसे में कोई रिस्क लेना भी नहीं चाहते थे। उन्होंने खुद सामने आकर कहा, 'मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। मैं किसी को बचाने की कोशिश भी नहीं कर रहा। दोषी को सजा मिलेगी।' दरअसल मुख्तार अंसारी ने जेल से ही बैठकर अपने गुर्गे मुन्ना बजरंगी के जरिए हत्या कराई थी। इसके बाद मुन्ना बजरंगी भी कुख्यात हो गया था। वह चलती कार में हत्या करने के स्टाइल के चलते चर्चा में आया था और कृष्णानंद राय की भी ऐसे ही हत्या हुई थी।
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