5 महीने का गर्भ, गैंगरेप और 3 साल की बेटी समेत घर के 7 लोगों का मर्डर; बिलकिस बानो संग क्या हुआ था
27 फरवरी, 2002 की बात है। कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गुजरात के गोधरा के पास आग लगा दी गई, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई। इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिलकिस बानों मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया। अदालत ने दोषियों को 2 सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण का आदेश दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में सजामाफी के मुद्दे पर फैसला लेना गुजरात सरकार के अधिकारक्षेत्र में नहीं आता। बेंच ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई महाराष्ट्र की अदालत में हुई थी, इसलिए सजामाफी पर फैसला लेना वहां की सरकार का अधिकार है। क्या आप जानते हैं कि बिलकिस बानो मामला क्या है और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके साथ क्या हुआ था? आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बता रहे हैं...
27 फरवरी, 2002 की बात है। कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गोधरा के पास आग लगा दी गई, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई। इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी 3 साल की बेटी और 15 बाकी लोगों के साथ घर से भाग गईं। इस वक्त वह 5 महीने की गर्भवती भी थीं। बिलकिस दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली थी। बकरीद के दिन दंगाइयों ने दाहोद में कई घरों को जला दिया और उनके सामान लूट लिए। 3 मार्च, 2002 को बिलकिस बानो का परिवार छप्परवाड़ गांव पहुंचा। यहां 20-30 लोगों ने लाठियों और जंजीरों से बिलकिस और उसके परिवार के लोगों पर हमला कर दिया। इस अटैक में 7 लोग मारे गए जो बिलकिस के परिवार के सदस्य थे। इनमें बिलकिस की बेटी भी शामिल थी।
महिलाओं से पहले मारपीट फिर गैंगरेप
चार्जशीट के मुताबिक, बिलकिस और 4 महिलाओं के साथ पहले मारपीट हुई और उनका गैंगरेप किया गया। इनमें बिलकिस की मां भी शामिल थीं। घटना के तीन घंटे के बाद तक बिलकिस बेहोश रही। होश आने पर उन्होंने आदिवासी महिला से कपड़े मांगे। इसके बाद वह एक होमगार्ड से मिलीं जो उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए लिमखेड़ा थाने ले गया। यहां से बिलकिस गोधरा के रिलीफ कैंप पहुंचाई गई और अस्पताल ले जाकर उनका मेडिकल टेस्ट हुआ। यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने घटना को लेकर CBI जांच का आदेश दिया। सीबीआई की विशेष अदालत ने जनवरी 2008 में 11 लोगों को दोषी पाया। इन लोगों पर गर्भवती महिला के रेप, हत्या और गैरकानूनी तौर पर एक जगह इकट्ठा होने का आरोप लगा था।
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