UP Election Survery: किस मुद्दे को चुनाव में सबसे अहम मानती है यूपी की जनता, भाजपा के लिए राहत की बात
UP Election Survery: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आयोग की ओर से कभी भी बिगुल फूंका जा सकता है। इस बीच राजनीतिक फिजा में कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन की गिरफ्तारी समेत कई मुद्दों की गूंज...
UP Election Survery: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आयोग की ओर से कभी भी बिगुल फूंका जा सकता है। इस बीच राजनीतिक फिजा में कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन की गिरफ्तारी समेत कई मुद्दों की गूंज सुनने को मिल रही है। हिंदू बनाम मुस्लिम से ध्रुवीकरण, किसान आंदोलन, कानून व्यवस्था, सरकार का काम और पीएम मोदी की छवि जैसे ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर जनता वोट की तैयारी में है। लेकिन सभी की दिलचस्पी इस बात पर होगी कि आखिर सबसे बड़ा मुद्दा फिलहाल जनता के बीच क्या है। इस पर एबीपी सी वोटर सर्वे में पता चला है कि सबसे ज्यादा 22 फीसदी लोग मानते हैं कि किसान आंदोलन सबसे बड़ा मुद्दा है।
हालांकि इसमें भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि कृषि कानूनों की वापसी के ठीक बाद 25 फीसदी लोग इसे सबसे अहम मुद्दा मान रहे थे, जिसमें अब 3 फीसदी की गिरावट आ गई है। इसके बाद कोरोना और ध्रुवीकरण को 17-17 फीसदी लोगों ने चुनाव के लिए दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा माना है। 15 फीसदी लोगों ने कानून व्यवस्था और 11 फीसदी ने सरकार के काम को वोट के लिए अहम मुद्दा माना है। हालांकि चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी भी एक फैक्टर हैं, लेकिन उनकी छवि पर वोट पड़ने की बात सिर्फ 7 फीसदी लोगों ने ही कही है। साफ है कि विधानसभा चुनाव योगी और अखिलेश के चेहरों पर हो रहा है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी का ज्यादा दखल लोग नहीं मानते हैं।
मथुरा को लेकर सीएम योगी के बयानों पर भी जनता की राय अलग है। मथुरा पर आक्रामक बयानों को लेकर 31 फीसदी लोगों ने कहा है कि भाजपा इसके जरिए ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है, जबकि 57 फीसदी लोग मानते हैं कि इन बयानों में ऐसा कुछ भी नहीं है। कोरोना को दो हफ्ते में सबसे बडा चुनावी मुद्दा मानने वालों की संख्या में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सरकार का कामकाज पांचवे नंबर पर है। इन सबके बीच हिंदू मुसलमान जैसे मुद्दे चुनाव में गरमा रहे हैं, लेकिन मथुरा में मुख्यमंत्री योगी ने जो कुछ कहा, उसको ज्यादातर लोग ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं मानते।
इन जिलों की 73 सीटों पर रहेगा किसान आंदोलन का असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम यूपी की 73 सीटों पर आंदोलन वापसी के बाद भी किसान फैक्टर रहने वाला है। हालांकि बड़ी बात यह है कि इनमें भी भाजपा मुकाबले से बाहर नहीं है। यही नहीं कई सीटों पर तो वह इसके बाद भी जीत की स्थिति में है। पश्चिम यूपी के शामली, मुजफ्फरनगर, बाागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस और आगरा जैसे कुल 15 जिलों की इन 73 सीटों में से कई पर भारतीय किसान यूनियन की मजबूत स्थिति है।
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