जेल से ही जीतकर सांसद बने दो कट्टरपंथी, अब कैसे जाएंगे संसद और लेंगे शपथ
पीडीटी आचार्य ने कहा कि एस्कॉर्ट करने वाली पुलिस टीमें सिर्फ संसद के गेट तक ही आ सकती हैं। गेट पर आरोपी और संसद को संसद की सुरक्षा के हवाले कर दिया जाएगा, जो उन्हें सदन में ले जाएंगे।
लोकसभा चुनाव के लिए सभी 543 सीटों के नतीजे सामने आ चुके हैं, लेकिन इन दो सीटों के नतीजों ने सभी को चौंका दिया। दो कट्टरपंथी जेल में ही रहकर निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं। अब सबसे बड़ा सवाल है कि ये आखिर शपथ कैसे लेंगे? जेल अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, अन्य सांसदों के विपरीत दोनों को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए एक अलग कानूनी रास्ता अपनाना होगा। इस समारोह में भी उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच रहना होगा।
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर शेख अब्दुल राशिद ने 204142 वोटों के साथ बारामूला सीट जीती है। वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद वारिस पंजाब दे प्रमुख और अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट 197120 वोटों के अंतर से जीती है।
नाम नहीं बताने की शर्त पर दिल्ली के एक जेल अधिकारी ने कहा कि दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच संसद तक ले जाना होगा। उन्होंने कहा, “संसद अधिकारियों या अन्य सांसदों के अलावा रास्ते में सेल फोन के इस्तेमाल या किसी अन्य व्यक्ति से मिलने पर भी प्रतिबंध रहेगा। एसीपी और इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी उन्हें एस्कॉर्ट करेंगे और उनकी सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे।''
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि एस्कॉर्ट करने वाली पुलिस टीमें सिर्फ संसद के गेट तक ही आ सकती हैं। गेट पर आरोपी और संसद को संसद की सुरक्षा के हवाले कर दिया जाएगा, जो उन्हें सदन में ले जाएंगे।
संसद नहीं आना चाहते थे सांसद
अगर किसी व्यक्ति पर दोष सिद्ध नहीं हुआ है तो वह चुनाव लड़ सकता है और अनुमति लेकर संसद में भी शामिल हो सकता है। सदन के अंदर जाने के बाद वह सदन को संबोधित भी कर सकता है। उत्तर प्रदेश के एक सांसद को भी एस्कॉर्ट किया गया था और वह सदन में बोलना चाहते थे। उन्होंने स्पीकर से कहा कि वह जेल में ही रहना चाहते हैं और उन्हें सुरक्षित वापस लाया जाए। स्पीकर हैरान रह गए और उन्होंने उनसे पूछा कि वह सलाखों के पीछे क्यों रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बाहर उनकी जान को तत्कालीन मुख्यमंत्री से खतरा है।
संसद के अंदर मिल जाएंगे सारे अधिकार
संसद के अंदर जाने के बाद उस व्यक्ति को वे सभी अधिकार मिल जाते हैं, जो अन्य सांसदों को मिलते हैं। लेकिन शपथ ग्रहण समारोह या संसद सत्र में आने के लिए दोनों को हर बार अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया है कि आखिर इंजीनियर राशिद और अमृतपाल सिंह को अदालत की अनुमति की आवश्यकता क्यों है? उन्होंने कहा, “सबसे पहले स्पीकर जेल अधीक्षक को शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण भेजता है। चूंकि दोनों न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए अधीक्षक को अदालत को सूचित करना चाहिए और अनुमति लेनी होगी। इसके बाद अदालत सुरक्षा की शर्तों पर ही उन्हें संसद ले जाने की अनुमति देगी।''