पार्थ चटर्जी के खिलाफ बोलना पड़ा भारी, TMC ने कुणाल घोष को किया सेंसर; आखिर ऐसा क्या कह दिया था?
कुणाल घोष ने 28 जुलाई को अपनी पार्टी से अपील की थी कि पार्थ चटर्जी को मंत्रीपद और पार्टी के सभी पदों से हटाया जाए। स्कूल जॉब्स घोटले में चटर्जी का नाम आने के बाद उन्होंने यह मांग रखी थी।
तृणूल कांग्रेस (TMC) के महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष को पार्थ चटर्जी के खिलाफ बोलना भारी पड़ गया है। घोष को टीएमसी से निलंबित और मंत्री पद से हटाए गए नेता चटर्जी पर टिप्पणी करने से दूर रहने को कहा गया है। पार्टी आलाकमान ने कुणाल घोष पर 14 दिनों के लिए मीडिया में पार्थ चटर्जी के खिलाफ कुछ भी बोलने पर रोक लगा दी है।
घोष ने 28 जुलाई को अपनी पार्टी से अपील की थी कि पार्थ चटर्जी को मंत्रीपद और पार्टी के सभी पदों से हटाया जाए। स्कूल जॉब्स घोटले में चटर्जी का नाम आने के बाद उन्होंने यह मांग रखी थी। राज्य महासचिव कुणाल घोष ने एक ट्वीट में कहा, 'अगर इस बयान को गलत माना जाता है, तो पार्टी को मुझे सभी पदों से हटाने का पूरा अधिकार है। मैं हमेशा टीएमसी का सिपाही रहूंगा।'
'पार्थ को अहसास होना चाहिए कि जेल में...'
पार्थ चटर्जी पर ईडी की कार्रवाई के बाद कुणाल घोष ने यह भी कहा था कि पार्थ को अहसास होना चाहिए कि आखिर जेल में कैसा महसूस होता है। उन्होंने आगे कहा था कि मैंने अपनी जिंदगी जेल में बिताई है, अब पार्थ को भी ऐसा करने दिया जाए। इतना ही नहीं, पार्थ को टीएमसी से निलंबित किए जाने के बाद भी घोष ने उन पर हमला जारी रखा। इसे लेकर पार्टी आलाकमान काफी नाराज हुआ।
पार्थ के भरोसेमंद नौकरशाहों पर भी ऐक्शन
फिलहाल, पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को 18 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्थ के भरोसेमंद नौकरशाहों पर भी ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। दो नौकरशाहों को राज्य के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग से अनिश्चित काल के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा पर भेजा गया है। ये विभाग सीधे तौर पर ममता बनर्जी के नियंत्रण में हैं।